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Tuesday, 22 April 2008
शराब के नशे में महिला ने की पति की हत्या
घटना के बाद चामनी ने गांववालों को बुरान के मारे जाने की सूचना दी लेकिन नशे में होने की वजह से पति की हत्या किए जाने से इंकार करती रही। हालांकि बाद में पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में उसने अपना जुर्म कुबूल कर लिया । फिलहाल उसे जेल भेज दिया गया है। चामनी के कुल चार बच्चे हैं जो इस घटना के प्रत्यक्ष गवाह हैं।
Friday, 11 April 2008
शादी में जाने से रोका: पति को पिटवा कर अस्पताल भिजवाया
मध्य प्रदेश में सीहोर जिले के कोडिया छीतू में रहने वाले जगदीश प्रसाद ने विगत दिवस अपनी पत्नी चंदाबाई और पुत्र प्रदीप को एक रिश्तेदार की शादी में जाने से रोक दिया था। इससे बुरी तरह नाराज चंदाबाई सीधे अपने मायके पहुंची और पति के खिलाफ जमकर लगाई-बुझाई की। इसपर चंदाबाई के पिता पूरन मालवीय तिलमिला उठे। वे अपने पुत्र, नाती और दो अन्य लोगों के साथ जगदीश के घर गए और सभी ने उसकी पिटाई कर दी, जिससे वह बेहोश हो गया।
पुलिस ने बताया कि जगदीश को सीहोर के एक अस्पताल में भर्ती किया गया है। इस मामले में उसकी पत्नी, ससुर, साले और पुत्र के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।
पाकिस्तान में तलाक लेने में महिलाएं आगे
तलाक के कारणों पर गौर करें तो दहेज की मांग और ससुराल पक्ष द्वारा बदसलूकी सबसे आम कारण हैं। पर कुछ अजीबोगरीब कारण भी बताए गए हैं, जैसे- सेलफोन का बहुत ज्यादा इस्तेमाल या कंप्यूटर पर काम करने की मनाही आदि। खास बात यह है कि तलाक मांगने वालों में महिलाओं की संख्या ज्यादा है।
दैनिक जागरण के एक समाचार में बताया गया है कि शादी के तीन महीने बाद ही तलाक की अर्जी दायर कर चुकी एक लड़की लगातार की जा रही दहेज की मांग को रिश्ते टूटने का एक प्रमुख कारण बताती है। 300 महिलाओं ने जहां अपने पति द्वारा दूसरी शादी की इच्छा को तलाक का कारण बताया है, वहीं 150 महिलाओं ने अपनी सास के दुर्व्यवहार को। कुछ महिलाओं ने अपनी आर्थिक परेशानियों के मद्देनजर तलाक मांगा है। सौ से ज्यादा महिलाओं द्वारा दायर तलाक के आवेदनों में कहा गया है कि उनके शौहर के पास नौकरी नहीं है, इसलिए वह उनके साथ नहीं रह सकतीं। कुछ ने तो यह कहा है कि उनका पति उनके साथ वक्त नहीं बिताता और रात भर किसी अजनबी से मोबाइल पर बात करता रहता है। और तो और 23 जोड़ों ने तो सिर्फ इसलिए तलाक मांगा है, क्योंकि उनकी जोड़ी बेमेल है।
Thursday, 10 April 2008
पति बढा़ते हैं, पत्नियों का काम
यूनिवर्सिटी के इंस्टिट्यूट फॉर सोशल रिसर्च (आईएसआर) विभाग के फ्रैंक स्टेफोर्ड ने कहा कि यह एक जाहिर सी बात है कि शादी के बाद बच्चे होने तक पुरुष बाहर के काम ज्यादा संभालते हैं, जबकि महिलाएं घर का काम संभालती हैं। लेकिन, महिलाओं के लिए स्थिति उस समय और बुरी हो जाती है जब उनके बच्चे हो जाते हैं।
स्टेफोर्ड की अध्यक्षता में किया गया शोध वर्ष 2005 की टाइम-डायरी आंकड़ों पर आधारित हैं। ये आंकड़े इंस्टिट्यूट फॉर सोशल रिसर्च विभाग में वर्ष 1968 से किए गए अध्ययन से जुटाए गए। बहरहाल, शोधकर्ताओं ने यह पता लगाने के लिए डायरियों का अध्ययन किया कि लोग किस तरह अपना समय व्यतीत करते हैं। शोधकर्ताओं ने पुरुषों और महिलाओं से यह सवाल किया कि वे खाना बनाने, साफ-सफाई और घर के आस-पास कुछ अन्य काम पर कितना समय बिताते हैं।
अब भी दिल न भरा हो तो बाक़ी रिपोर्ट भी देख ही लें।
Monday, 7 April 2008
पिछले तीन दशकों में पुरुषों का कार्यभार दोगुना हुया है!
मिसिगन विश्वविद्यालय के शोधार्थियों द्वारा किए गए अध्ययन में कहा गया है कि महिलाओं के काम के घंटे में भारी गिरावट दर्ज हुई। पहले जहां महिलाएं हफ्ते में 26 घंटे काम करती थी वहीं अब घटकर 17 घंटे पहुंच गई। वहीं दूसरी ओर पुरुषों पर काम का भार छह घंटे से 13 घंटे की वृध्दि हुई है। अध्ययन में कहा गया है कि घरेलू कामकाज में भी महिलाओं का कार्यभार घटा है। इसमें कहा गया है कि शादी से पहले जहां पुरुष या महिलाओं को काम कम करना पड़ता है वहीं शादी के बाद कार्य अवधि में वृध्दि हो जाती है।
Sunday, 6 April 2008
कभी देखा है, ऐसा बंटवारा!?
ब्रैंको जिकोव नामक इस किसान ने कहा कि मैं अपनी 45 साल की शादीशुदा जिंदगी में कमाई हर चीज में बीवी को बराबर हिस्सा देना चाहता हूं। लेकिन खेती के औजार भी बांटने को कहा गया, तो वह भड़क उठा। इसके बाद उसने इन सभी औजारों को दो हिस्से में काट दिया। इनमें जुताई, बुआई और पशुपालन में इस्तेमाल किए जाने वाले औजार भी शामिल थे।