श्रीमती उमा ने कहा कि उनके संगठन का लक्ष्य लैंगिक विषमताओं एवं भेदभाव से उपर उठकर हर किसी के हितों की रक्षा के लिये संघर्ष करना है। उन्होंने बताया कि संगठन ने अपने अध्ययन के दौरान पाया कि घरों में छोटे.मोटे झगडों एवं मनमुनाव के बाद कई महिलायें अपने पतियों एवं सास.श्वसुर को ब्लैकमेल करती है।
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Sunday 20 December, 2009
एक महिला, सताये गए पतियों के लिए लड़ रही: कहती है कि पति भी आखिर इंसान हैं
पतियों से पीडित पत्नियों के हक के लिये कई संगठन संघर्ष कर रहे हैं लेकिन पत्नियों के हाथों सताये गये पतियों के हक में लडाई लडने के लिये आल इंडिया फॉरगौटेन वुमेन. बनाया गया है । इस संगठन की अध्यक्षा उमा चल्ला का कहना है कि हर दिन पतियों एवं उनके परिवार वालों के खिलाफ अनेक फर्जी मामले देश भर में दर्ज किये जा रहे हैं और फर्जी शिकायतों के आधार पर निर्दोष पुरूषों एवं उनके सगे.संबधियों को जेलों में डाला जा रहा है। यह संगठन न केवल पतियों के बल्कि पत्नियों एवं सास के हकों के लिये भी संघर्ष कर रहा है।
श्रीमती उमा ने कहा कि उनके संगठन का लक्ष्य लैंगिक विषमताओं एवं भेदभाव से उपर उठकर हर किसी के हितों की रक्षा के लिये संघर्ष करना है। उन्होंने बताया कि संगठन ने अपने अध्ययन के दौरान पाया कि घरों में छोटे.मोटे झगडों एवं मनमुनाव के बाद कई महिलायें अपने पतियों एवं सास.श्वसुर को ब्लैकमेल करती है।
श्रीमती उमा ने कहा कि उनके संगठन का लक्ष्य लैंगिक विषमताओं एवं भेदभाव से उपर उठकर हर किसी के हितों की रक्षा के लिये संघर्ष करना है। उन्होंने बताया कि संगठन ने अपने अध्ययन के दौरान पाया कि घरों में छोटे.मोटे झगडों एवं मनमुनाव के बाद कई महिलायें अपने पतियों एवं सास.श्वसुर को ब्लैकमेल करती है।
Wednesday 25 November, 2009
पैसे लेकर वह महिलाओं से खुद को पिटवाता है!!
भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव होना आम है। इसका शिकार पुरुष भी हो सकते हैं और स्त्रियां भी। जो चूल्हा-चौके में ही खप रही हैं, उन्हें इस बात का तनाव है कि नौकरी नहीं करती हैं। जो नौकरी करती हैं उनकी परेशानी यह है कि बाहर के साथ घर की देखभाल भी करनी पड़ रही है। कई बार उनके गुस्से के शिकार उनके बच्चे होते हैं।
कैसा हो अगर ऐसी महिलाओं को अपना गुस्सा उतारने के लिए किराए पर एक जीता-जागता आदमी मिल जाए, और उसे मारकर वह अपनी भड़ास निकालें। उत्तर-पूर्वी चीन के शेनयांग में तो एक शख्स ने यह सेवा शुरू भी कर दी है। वह पैसे लेकर महिलाओं से खुद को पिटवाता है।
जियाओ लिन नाम का यह शख्स एक जिम का कोच है। उसने तनावग्रस्त महिलाओं को अपनी भड़ास निकालने के लिए खुद को एक पंचबैग (मुक्के मारने वाला बैग) की तरह इस्तेमाल करने के लिए पेश किया है। लिन को मारने के लिए महिलाओं को एक कीमत अदा करनी पड़ती है। अपने इस नए कारोबार के बारे में उसने अपने परिवार को नहीं बताया है।
कैसा हो अगर ऐसी महिलाओं को अपना गुस्सा उतारने के लिए किराए पर एक जीता-जागता आदमी मिल जाए, और उसे मारकर वह अपनी भड़ास निकालें। उत्तर-पूर्वी चीन के शेनयांग में तो एक शख्स ने यह सेवा शुरू भी कर दी है। वह पैसे लेकर महिलाओं से खुद को पिटवाता है।
जियाओ लिन नाम का यह शख्स एक जिम का कोच है। उसने तनावग्रस्त महिलाओं को अपनी भड़ास निकालने के लिए खुद को एक पंचबैग (मुक्के मारने वाला बैग) की तरह इस्तेमाल करने के लिए पेश किया है। लिन को मारने के लिए महिलाओं को एक कीमत अदा करनी पड़ती है। अपने इस नए कारोबार के बारे में उसने अपने परिवार को नहीं बताया है।
बकौल लिन, मैं दिन में जिम में लोगों को प्रशिक्षण देता हूं। शाम को मैं ये अंशकालिक काम करता हूं। इस काम के लिए मुझे और भी साथियों की तलाश है। मुझसे अगर कोई जुड़ना चाहे तो उसका स्वागत है। लिन अपने इस पेशे से काफी रोमांचित हैं।
उन्होंने कहा, महिलाओं के लिए पंचबैग बनकर मैं कुछ पैसे भी कमा लेता हूं। इसके साथ-साथ खुद को बचाने की कला में भी मुझे निपुणता हासिल हो रही है। ऐसा करने में मेरा शारीरिक नुकसान भी नहीं है। ये जनाब आधे घंटे तक पिटने के लिए 100 युआन (करीब 700 रुपये) लेते हैं। इस सेवा का लाभ उठाने के लिए उनके पास ग्राहक भी आने लगी हैं।
लिन के अनुसार, उनकी पहली ग्राहक 25 साल की लड़की है। उसने आधा घंटे की कीमत अदा की। लेकिन वो जल्द ही थक गई। उसने बाकी समय मेरे साथ बातचीत करके निकाला।
दूसरी ग्राहक भी ऐसी ही थी। वो भी जल्द ही थक गई। लेकिन मुझे पीटने के बाद दोनों ही बहुत संतुष्ट दिखाई दीं। उनका कहना है कि ऐसा करके वह तनावग्रस्त महिलाओं की मदद कर रहे हैं।
Saturday 11 July, 2009
संतान प्राप्ति के लिए सुंदर पुरुष के बदले बदसूरत पुरूष बेहतर
संतानोपत्ति से जुड़े मुद्दों पर आ गई एक और रिपोर्ट. यह अलग सी रिपोर्ट बताती है कि आकर्षक या सुंदर पुरुष की बच्चे पैदा करने की कूवत, कुरूप या अच्छे न दिखने वाले पुरुषों की तुलना में कम होती है।
इस रिपोर्ट के पीछे जो तर्क रखा गया है उसके मुताबिक आकर्षक पुरुष प्रणय क्रीड़ा के दौरान कुरूप या कम आकर्षक पुरुषों की तुलना में कम शुक्राणु छोड़ते हैं. यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन और दुनिया की मशहूर यूनिवर्सिटी ऑक्सफोर्ड ने यह परिणाम निकाला है ।
रिपोर्ट की खबर यहाँ मौजूद है.
इस रिपोर्ट के पीछे जो तर्क रखा गया है उसके मुताबिक आकर्षक पुरुष प्रणय क्रीड़ा के दौरान कुरूप या कम आकर्षक पुरुषों की तुलना में कम शुक्राणु छोड़ते हैं. यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन और दुनिया की मशहूर यूनिवर्सिटी ऑक्सफोर्ड ने यह परिणाम निकाला है ।
रिपोर्ट की खबर यहाँ मौजूद है.
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