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Sunday 19 October, 2008

शेयर बाजार में 30 लाख रुपए लुटा बैठी, पति ने तलाक देने का फैसला लिया

एक महिला को उसके पति ने तलाक देने का इसलिए फैसला कर लिया क्योंकि वह शेयर बाजार में 30 लाख रुपए लुटा बैठी। लगता है कि आर्थिक मंदी की छाया शेयर बाजार से निकलकर घर की चारदीवारी में पसर गई है। अहमदाबाद के मनोविज्ञानी डॉ . हंसल भचेच की ऑनलाइन कंसल्टेंसी में इस महिला ने अपना दिल का हाल बयां किया है। वह एक गृहणी है और खाली समय में शेयर ट्रेडिंग किया करती है। उसने बिना अपना नाम बताए लिखा है , ' मैं 34 साल की हूं और मेरी शादी को 10 साल हुए हैं। मेरी एक बेटी है जो अब बड़ी हो गई है। इसीलिए मेरे पास अब इतना समय होता है कि मैं घर बैठे कुछ काम कर सकूं। शेयर मार्केट में पैसा लगाना मुझे सबसे मुफीद लगा , सो मैं यह काम करने लगी। '

महिला आगे लिखती है , ' जब मुझे मुनाफा हुआ तो मेरे पति को भी यह बहुत अच्छा लगा। एक समय ऐसा भी था कि हमारे परिवार पर रुपयों की बरसात हुई। सारे सपने पूरे हो जाएंगे , ऐसा लगा। पर हाल के दिनों में जब शेयर मार्केट बुरी तरह गिरे , तो मुझे बहुत नुकसान हुआ। मेरे पति बहुत नाराज हुए। उन्होंने साफ कह दिया कि वह इस घाटे को नहीं उठा सकते। उन्होंने मुझे तलाक देने की धमकी भी दी है। ' डॉ . भचेच से राय मांगते हुए उस महिला ने पूछा है कि शेयर मार्केट की इस स्थिति के लिए सरकार क्या करने वाली है ?' वैसे अहमदाबाद की बहुत सी घरेलू महिलाओं ने पिछले कुछ हफ्तों में स्टॉक्स में बड़ी रकम गंवाई है। यह बात अलग है कि यह अपनी तरह का मामला है पर इसमें कोई शक नहीं कि बहुत सी महिलाएं इस समय दोहरे दर्द को झेल रही हैं। पैसे गंवाने के साथ - साथ उन्हें परिवार से भी ताने सुनने को मिल रहे हैं ,' डॉ . भचेच यह कहते हैं।
(ख़बर, विभिन्न संचार माध्यमों द्वारा)

महिलाओं की पसंद हैं, पुराने ख्याल के देसी मर्द

महिलाओं को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए पुरुषों को यह दावा करने की जरूरत नहीं कि वे बहुत समानतावादी हैं और लिंग के आधार पर किसी भी तरह का भेदभाव नहीं मानते। सर्वे कहता है कि ज्यादातर पुरुष हकीकत में पारंपरिक बीवी चाहते हैं और औरतों को भी ऐसे पुरुषों को उपकृत करने में मजा आता है। यानी आज भी औरतें मेट्रोसेक्सुअल के बजाय देसी तेवर वाले रेट्रोसेक्सुअल युवकों को ही ज्यादा तरजीह देती हैं।

यॉर्कशर बिल्डिंग सोसाइटी में हुए शोध के मुताबिक ज्यादातर औरतें आज भी जीवनसाथी चुनते समय पुराने ख्यालों वाले, सुरक्षा का एहसास दिलाने वाले पुरुषों का चुनाव करती हैं। सर्वे के मुताबिक औरतों को ऐसे पुरुष ज्यादा पसंद हैं जो घर और बाहर परंपरागत भूमिका में रहते हैं और आक्रामक रुख अपनाते हैं। इसके बजाय घर में रहने, समझदार रवैया दिखाने वाले मेट्रोसेक्सुअल तेवर औरत को शादी के बंधन में बांधने के लिए नाकाफी होते हैं।

इसके अलावा औरतों में नौकरी का आग्रह भी काफी कम होता जा रहा है। उन्हें लगता है कि करियर बनाने के फेर में भाग-दौड़ करने से अच्छा है कि बच्चों और परिवार की देखभाल की जाए। जब पुरुषों से पूछा गया कि जीवनसाथी में सबसे महत्वपूर्ण गुण कौन सा चाहते हैं, तो ज्यादा का जवाब था कि उसे घर की देखभाल आनी चाहिए। इसमें खाना बनाना, साफ सफाई और बच्चों को अच्छे से पालने के गुण शामिल हैं।

ऐसा नहीं है कि आदमी ही इस सोच के शिकार हैं। कई औरतों को पति का सबसे बड़ा गुण मोटी कमाई ही लगता है ताकि घर चलाने और शौक पूरा करने में किसी तरह का खलल पैदा न हो। ज्यादातर महिलाओं को शुरू में अपनी भावनाएं समझने वाला और आजाद ख्यालों का मेट्रोसेक्सुअल पति चाहिए था, लेकिन फिर उन्हें लगा कि जो आदमी मुझ से ज्यादा वक्त बाथरूम और आइने के सामने गुजारता है, उससे उकताहट हो रही है। उन्हें लगा कि पारंपरिक, आक्रामक स्वभाव वाले पुरुष ही बेहतर जीवनसाथी हो सकते हैं।

मूल समाचार, उस पर आयी टिप्पणियाँ के साथ यहाँ पढ़ा जा सकता है

करवा चौथ के दिन भी महिलाएं पतियों के खिलाफ कार्रवाई पर अड़ीं

करवा चौथ के दिन जहां पत्नियां अपने पतियों की लंबी उम्र और सलामती के लिये व्रत रख रही थीं। वहीं जबलपुर के परिवार परामर्श केन्द्र में अनेक पत्नियां अपने पतियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई किये जाने के अलावा किसी प्रकार के समाधान के लिये सहमत नहीं हुई। परिवार परामर्श केन्द्र से प्राप्त जानकारी के अनुसार करवा चौथ के दिन केन्द्र में वैवाहिक विवाद के 42 मामलों की सुनवाई की गयी। केन्द्र में ऐसा पहली बार हुआ कि इन 42 मामलों में एक भी निपटारा आपसी समझौते से नहीं हो पाया।

सुनवाई के दौरान पति पीड़ित अधिकांश पत्नियां करवा चौथ होने के बावजूद परिवार परामर्श के सलाहकारों के समक्ष पतियों एवं ससुराल पक्ष के लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के अलावा किसी प्रकार के समाधान के लिये सहमत नहीं थी। सलाहकारों की समझाइश के बावजूद 12 मामलों में विवादित परिजनों ने आपसी सहमति से अलग-अलग रहने एवं विधि अनुसार आचरण करने का निर्णय लिया। इसके साथ ही आठ पतियों द्वारा पत्नियों से पीडित होकर आवेदन प्रस्तुत किये थे। लेकिन उनकी पत्नियां दिन भर के इंतजार के बाद भी नहीं आईं। सलाहकारों ने ऐसे पतियों को न्यायालय की शरण लेने की सलाह दी।

Tuesday 14 October, 2008

अरे वाह! अब पति भी किराए पर मिलेंगे

अभी अभी तो हमने पढ़ा था कि अब अपने देश में ही सुंदर महिला साथी भी किराए पर उपलब्ध है। वो भी 10 से 15 हजार रुपए प्रति शाम के हिसाब से। फिर उस पर टिप्पणियाँ भी देखीं कि 'पता नहीं कब पुरूष महिला के बिना जीना सीखेगे।' 'कोई खरीदे गये साथी के साथ सच्ची खुशी कैसे पा सकता है।' 'क्या युवक बिकना नहीं चाहते या युवतियों के पास अभी रुपए नहीं आये?'

इन सबका समाधान अब सामने है। बेशक बात अर्जेंटीना की है, देर-सबेर यहाँ भी वही हाल होगा। वहां जिन महिलाओं को अपने पतियों से इस बात की शिकायत रहती है कि उनके पति घर के काम में उनका हाथ नहीं बंटाते वे अपने शयनकक्ष की शांति बनाए रखते हुए किराए के पतियों की सेवाएं ले सकती हैं। इससे उन महिलाओं को काफी फायदा हो रहा है जिनके पति घर के काम में निपुण नहीं हैं या फिर रुचि नहीं लेते। जी हां, अर्जेटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में एक कंपनी महिलाओं को 15.50 डालर (करीब 760 रुपये) प्रति घंटे के हिसाब से किराए के पति उपलब्ध करा रही है। कंपनी का कहना है कि जो महिला अपने घर के काम में रुचि नहीं लेने वाले पति से परेशान है, वह किराए के पति की सेवाएं ले सकती है। अपनी वेबसाइट पर कंपनी महिलाओं को आकर्षित करने के लिए तरह-तरह के विज्ञापन भी देती है। मसलन, 'क्या आप घर के काम में हाथ नहीं बंटाने वाले अपने पति से परेशान हैं? तो, सब कुछ भूलकर हमारे पास आइए', और 'अगर आपके पति घर के काम में रुचि नहीं लेते तो सब कुछ भूलकर हमारे पास आइए'।

इस कंपनी का नाम भी बड़ा ही दिलचस्प 'हसबेंड फार रेंट' रखा गया है। कंपनी आमतौर पर अकेली, तलाकशुदा और विधवा महिलाओं को किराए का पति उपलब्ध कराती है। कंपनी द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले किराए के पतियों को बिजली और लकड़ी के काम सहित कई और काम अच्छी तरह आते हैं।

कंपनी के मालिक डेनियल अलोंसो ने बताया कि उन्हें यह अजीबोगरीब आइडिया उस दिन आया जब उनकी पड़ोसन ने अलोंसो की पत्नी से अपना पति किराए पर लेने का मजाक किया। 56 वर्षीय अलोंसो का दावा है कि उनकी कंपनी के पास अभी दो हजार ग्राहक हैं। अलोंसो ने कहा कि सस्ते में घर के काम निपट जाने के कारण महिलाओं को यह सुविधा खूब पसंद आ रही है।

ब्यूनस आयर्स में कंपनी इतनी लोकप्रिय हो चुकी है कि अब उसके पास रात के तीन बजे भी फोन कॉल आते हैं।

सम्बंधित समाचार यहाँ पढ़ा जा सकता है।

Friday 10 October, 2008

नारी की आवाज़ तेज? अरे! यही उन्हें ज्यादा आकर्षक बनाती है।

एक नए शोध में खुलासा हुआ है कि अपने मासिक चक्र के दौरान महिलाओं का स्वर तब तेज हो जाता है जब वह अधिक प्रजननशील होती हैं और यही उन्हें ज्यादा आकर्षक बनाता है। शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि प्रजननशीलता के साथ महिलाओं की आवाज कम या ज्यादा हो जाती है।

असल में, महिलाओं की आवाज अंडोत्सर्ग के एक या दो दिन पहले तेज हो जाती है। इन्हीं दिनों में उनके गर्भधारण की संभावनाएं सबसे ज्यादा होती हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार यह पहला खुलासा है जब आवाज और प्रजननशीलता के बीच संबंधों का पता चला है। इससे इस विचार को समर्थन मिलता है कि मनुष्यों में भी प्रजननशीलता के बाहरी संकेत पशु-पक्षियों की ही तरह दिखाई देते हैं।

शीर्ष शोधकर्ता डा. ग्रेग ब्रायंट ने कहा, हमारा अध्ययन दर्शाता है कि प्रजननशीलता के अनुसार महिलाओं के स्वर में परिवर्तन आता है। वे अंडोत्सर्ग के जितने नजदीक होती हैं, उनका स्वर उतना बढ़ जाता है। हम यह कह रहे हैं कि स्वर तेज होने से उनकी प्रजननशीलता बढ़ जाती है और उनमें आकर्षण बढ़ जाता है। डा. ब्रायंट और कैलिफोर्निया विश्वविघालय के उनके सहयोगी 69 महिलाओं की आवाज के विश्लेषण के बाद इस नतीजे पर पहुंचे।

कुछ अधिक जानकारी यहाँ मिलेगी.

Friday 3 October, 2008

मुझको अपने गले लगा लो, ऐ मेरे जीवनसाथी

महंगे तोहफे देने या शाम को किसी आलीशान होटल में डिनर करने से ही शादीशुदा जिंदगी खुशहाल नहीं होती। शोधकर्ताओं ने खुशहाल शादीशुदा जिंदगी का गैरखर्चीला राज ढूंढ निकाला है। इसके मुताबिक दिन में चार बार अपने साथी को गले लगाकर शादीशुदा जिंदगी को खुशहाल बनाए रखा जा सकता है। अध्ययन के मुताबिक हर महीने अपने साथी के साथ कम से कम 22 बार पर्याप्त समय बिताकर आप अपने रिश्ते मधुर बनाए रख सकते हैं। इसमें साथ टहलना या रोमांटिक डिनर करना जैसी बातें भी शामिल हैं। 'द डेली टेलीग्राफ' में शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि इसके लिए चार हजार जोड़ों पर एक अध्ययन किया गया।

अध्ययन के नतीजों से खुलासा हुआ कि अपनी शादीशुदा जिंदगी में खुशी तलाश रहे लोगों को महीने में कम से कम सात शाम एक-दूसरे के नाम करनी चाहिए। महीने में दो बार अपने साथी के साथ लांग ड्राइव पर जाने या या फिल्म देखने से भी बात बन सकती है। शोध में पतियों को महीने में एक बार अपनी पत्नी को उपहार देने की भी बात कही गई है। यही नहीं, इसमें महीने में एक शाम अपने साथी से अलग बिताने की भी सलाह दी गई है। मनोचिकित्सक लुडविग लोवेनस्टीन कहते हैं कि दांपत्य जीवन में प्यार भरे शब्द और हाव-भाव काफी मायने रखते हैं। कामकाज और परिवार पालने के चक्कर में लोग अक्सर अपने साथी को नजरअंदाज करते हैं। यहां तक कि लोग गले लगना सरीखी छोटी-छोटी बातों की अहमियत भी भूल जाते हैं।
(साभार: जागरण)

प्राथमिकता के लिहाज से सेक्स 17वें पायदान पर

भारतीय दंपती अभी भी सेक्स जैसे मुद्दे पर आपस में खुलकर बातचीत नहीं करते। एक सर्वे के मुताबिक, भारतीय पुरुषों के लिए प्राथमिकता के लिहाज से सेक्स 17वें पायदान पर आता है, जबकि महिलाओं में यह 14वें नंबर पर है। पारिवारिक जीवन के अलावा पुरुषों ने जीवनसाथी, करिअर, मां या पिता की भूमिका निभाने, आर्थिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होने को अहमियत दी। कमोबेश महिलाओं की भी यही प्राथमिकताएं थीं।

यह सर्वे जानी-मानी दवा कंपनी फाइजर ग्लोबल फार्मास्युटिकल्स द्वारा कराया गया है। इससे निकले नतीजों के मुताबिक यौन संतुष्टि का शारीरिक स्वास्थ्य और प्यार या रोमैंस से गहरा संबंध है। मुंबई के लीलावती अस्पताल के डॉक्टर रुपिन शाह का कहना है कि भारत में जो पुरुष यौन जीवन से संतुष्ट नहीं हैं, उनके समग्र जीवन में भी संतुष्टि की कमी है। भारत में हुए इस सर्वे में 400 इलाके चुने गए थे। इनमें से अधिकतर शहरी क्षेत्र थे। इस पर टिप्पणी करते हुए शाह कहते हैं कि इस सर्वे को शहरी कहा जा सकता है। लेकिन एक डॉक्टर होने के नाते मैं जानता हूं कि देश के ग्रामीण इलाकों से भी सर्वे के ऐसे ही नतीजे निकलते।

सर्वे के अनुसार भारत सहित एशिया प्रशांत क्षेत्र देशों के 57 फीसदी पुरुष और 64 फीसदी महिलाएं सेक्स जीवन से बहुत संतुष्ट नहीं हैं। जो महिला और पुरुष अपने यौन जीवन से बहुत अधिक संतुष्ट हैं, उनमें से 67-87 फीसदी ने कहा कि वे अपने जीवन से खुश हैं। दूसरी ओर ऐसे लोग जो अपने सेक्स जीवन से कम संतुष्ट हैं, उनमें से महज 10 से 26 फीसदी ने माना कि उनकी जिंदगी खुशहाल है।

इस सर्वे का सबसे दिलचस्प पहलू यह था कि पुरुष सेक्स को जिंदगी की अहम प्राथमिकताओं में जगह देते हैं। दूसरी ओर, महिलाएं उसे कम तरजीह देती हैं। सर्वे में भारतीय पुरुषों की स्तंभन कठोरता और उनके सेक्स जीवन में भी सीधा संबंध देखा गया। इस सर्वे में भारत सहित 13 देशों के 25 से 74 की उम्र के कुल 3,957 लोगों को शामिल किया गया था, जिनमें 2016 पुरुष और 1,941 महिलाएं शामिल थीं।