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Thursday 11 March, 2010

मनचाही सब्जी के लिए पुरुषों को घर में 33 प्रतिशत आरक्षण मिले!!

महिला आरक्षण विधेयक पर चुटकियां लेते हुए हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा ने कहा है कि महिलाओं को संसद में 33 प्रतिशत आरक्षण का विधेयक पास हो गया है। अब जरूरत है कि पुरुषों को घर में भी 33 प्रतिशत आरक्षण मिले, क्योंकि अभी तक पत्नी का 100 प्रतिशत दबाव रहता है। पत्नी की अनुमति के बगैर पति मनचाही सब्जी खाना तो दूर अपने मन मुताबिक कपड़े भी नहीं पहन पाता।

लखनऊ में एक कवि सम्मेलन में हिस्सा लेने आये कवि सुरेंद्र शर्मा ने महिला आरक्षण पर कहा कि महिला आरक्षण से संसद में या तो इंदिरा गांधी जैसी महिला पहुंचेगी या फिर फूलनदेवी। दोनों ही अपने-अपने क्षेत्र की इकलौती शख्सियत रह चुकी हैं। ऐसी ही महिलाओं की देश को जरूरत है।

Monday 8 March, 2010

पांच माह की गर्भवती महिला ने पति को मगरमच्छ के मुंह से बचाया

आज महिला दिवस पर एक महिला के साहस की अनोखी खबर मिली। हुआ यह कि डरबन के लॉरैंस मुनरो और उसकी पत्नी कैरिन शहर से 125 मील दूर इमफोलोजी गेम रिजर्व में व्हाइट उमफोल्जी नदी के तट पर घूम रहे थे। तभी उन्होंने चट्टानों पर आराम करने की सोची। थोड़ी देर बाद जैसे ही लॉरैंस नदी में अपने पैर धोने गया, एक मगरमच्छ ने उस पर हमला कर दिया और पैर मुंह में ले लिया।

33 वर्षीय लॉरैंस ने कहा, वह बस कुछ ही पलों की बात थी। मैं चट्टानों को पकड़कर अपने दाएं पैर से मगरमच्छ को धकेलने लगा। एक बार तो उसने मुझे छोड़ दिया लेकिन फिर दोनों पैरों को दबोच लिया। मैंने अपनी राइफल पकड़ने की कोशिश की लेकिन वह मुझे खींचकर पानी के पास ले गया। इसके बाद केरिन ने मुझे बाजू से खींचना शुरू कर दिया।

आखिरकार इस संघर्ष में केरिन जीत गई और उसने मुझे मगरमच्छ के चंगुल से मुक्त कराया।

पांच माह की गर्भवती केरिन इतनी मेहनत के बाद अस्पताल में आराम कर रही है। लॉरैंस, केरिन जैसी पत्नी पाकर बहुत खुश है। मगरमच्छ उसे खा भी सकता था। मगरमच्छ 9.8 फीट लंबा रहा होगा लेकिन अंत में उसने संघर्ष बंद कर दिया।

Tuesday 23 February, 2010

कोई भी सफल महिला अपने घर से लड़कर सफल नहीं हुई बल्कि परिवार का साथ पाकर ही सफल बनी है

आज के अखबार में खबर पढ़ी। कुछ अनोखी सी लगी। अनोखी इसलिए कि अपने प्रदेश में नामी वकील रहीं और अब रायपुर की मेयर बनीं किरणमयी नायक ने जो कुछ कहा वह आज की कथित प्रगतिशील महिलाओं को शायद हजम ना हो।

कल आयोजित किए गए एक दिवसीय कार्यशाला में नुख्य अतिथि की आसंदी से रायपुर निगम की महापौर किरणमयी नायक ने कहा कि किस्सा यहाँ एक के साथ चार फ़्री का है! दहेज की रिपोर्ट दर्ज कराते वक्त महिलाएं इस मुगालते में रहती हैं कि बस रिपोर्ट दर्ज कराई और ससुराल वालों को सजा मिल जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं होता। वह दहेज की एक रिपोर्ट लिखवाती है और बदले में उसे चार केस भुगतने पड़ते हैं यानि तलाक, मेंटेनेंस, संपत्ति में अधिकार और बच्चे हैं तो उसकी गार्जनशिप का मामला भी उसे फेस करने होते हैं। अकेले परिवार की जिद और सास-ससुर को नहीं रखने वाली महिला कहीं की नहीं रह जाती और दहेज का मामला दायर करने के बाद वह वापस भी नहीं जा पाती। उन्होंने महिलाओं से कहा कि अपने घर को जोड़कर रखें न कि अपने घर के मामले को पुलिस थाने तक ले कर जाएं। उन्होंने कहा कि कोई भी सफल महिला अपने घर से लड़कर सफल नहीं हुई बल्कि परिवार का साथ पाकर ही सफल बनी है, इसलिए अपने अधिकारों से ज्यादा कर्तव्यों को निभाना सीखें।

कुछ अनोखा नहीं लगा आपको?