बिस्तर कभी पति-पत्नी के बीच की राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस का काम करता है, तो कभी जिंदगी अपने दोनों पहियों के सहारे सरपट दौड़ती है। लेकिन अब पति-पत्नी के बीच किसी तीसरे ने घुसपैठ कर ली है। नतीजा- कभी सोने के घंटे अलग, तो कभी बिस्तर अलग। पता चला है कि हमारे पसंदीदा गैजेट्स मसलन टीवी, ऑडियो सिस्टम और कंप्यूटर ही बिस्तर बांटने के लिए जिम्मेदार हैं। दिलचस्प बात ये है कि
रिश्तों में दरार डालने वाले इस घुसपैठिए को हम बड़े शौक से अपनी गाढ़ी कमाई खर्च कर घर लाते हैं।बिस्तर पर पहुंचते ही जिंदगी का एक चक्कर पूरा हो जाता है। दिन भर की थकान और नींद के बीच डूबते उतराते हैं कल के सपने और योजनाएं और अगर शादीशुदा लोगों की बात करें तो ये सिर्फ बेड शेयर करने का मामला ही नहीं है। ब्रिटेन में रिसर्चरों ने पता लगाया है कि
हाई टेक गैजेट्स की वजह से लाखों कपल अपना बेड अलग करने के लिए मजबूर हैं। 'स्लीप काउंसिल' से जुड़ी जेसिका ऐलेक्जेंडर के मुताबिक स्टडी से साबित हुआ है कि बेडरूम अब सोने की जगह नहीं रह गया। जिंदगी का हिस्सा बनते जा रहे टीवी, फोन और कंप्यूटर की घुसपैठ के कारण
बेडरूम कम्यूनिकेशन हब में तब्दील हो गए हैं।
आंख खोलने वाली इस स्टडी के लिए ब्रिटेन में 1,400 लोगों के बीच स्टडी की गई। स्टडी के नतीजे बताते हैं कि 10 फीसदी लोग हर रात अलग बिस्तर पर सोते हैं, 25 फीसदी अकसर अलग बिस्तर पर सोते हैं और
40 फीसदी लोगों का उनके पार्टनर के साथ सोने का टाइम मैच नहीं करता।बीबीसी की
ख़बर में बताया गया है कि तकरीबन
हर बेडरूम में गैजेट के नाम पर तकिए के नीचे या साइड टेबल पर मोबाइल फोन निश्चित होता है। लगभग 22 फीसदी लोग अलार्म क्लॉक की जगह मोबाइल फोन के जरिए अपनी गुड मॉर्निंग करते हैं।
एक तिहाई लोग बिस्तर पर लेटने के बाद फोन पर बात करने मेसेज भेजने या चैट करने में मशगूल रहते हैं। 20 फीसदी लोग तो बेड पर पहुंचने के बाद सोशल नेटवर्किंग साइट खंगालने, कंप्यूटर गेम खेलने या कान में हेडफोन लगाकर गाना सुनने में मशगूल रहते हैं। सोने से पहले भगवान की प्रार्थना करने वाले जहां 10 फीसदी हैं, वहीं
रिलैक्स करने से ठीक पहले गैजेट्स को चार्जिंग पर लगाने वाले 22 फीसदी। सोने से ठीक पहले कुछ न पीने की सलाह शायद ही किसी के पल्ले पड़ती हो। हर तीसरा आदमी सोने से पहले पानी पीता है। ऐसे भी लोग हैं जो सोने से पहले नींद भगाने वाली कॉफी का सेवन कर लेते हैं। बेड पर पसरकर शराब या शर्बत पीने वालों की भी कमी नहीं है।
जमाने के जेट की रफ्तार से बदलने के बावजूद कुछ चीजें अब भी नहीं बदली हैं। ज्यादातर महिलाओं के लिए पाजामा अब भी सोते समय पहना जाने वाला पसंदीदा और आरामदायक परिधान है। कपड़ों की ही बात करें तो कुछ अजीबोगरीब तथ्यों से भी सामना होता है। महिलाओं के मुकाबले लगभग दोगुने अनुपात में पुरुष सोते समय कोई भी कपड़ा पहनना पसंद नहीं करते। एक फीसदी पुरुषों का तो ये भी दावा है कि वे नाइटी पहनकर सोते हैं।
रिसर्चरों का दावा है कि उनकी स्टडी आज की टेक लाइफ के बेडरूम इफेक्ट का असली असर लोगों के सामने पेश कर रही है। बहरहाल, अब वक्त आ गया है, जब बेडरूम को सिर्फ सोने का कमरा बना रहने दिया जाए और जिंदगी की भागदौड़ को बाहर कर दरवाजा बंद कर लिया जाए ताकि नाइट गुड हो सके।