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Thursday, 13 December 2007
पत्नी कैसे बदलती है ...
पहले साल: मैंने कहा जी खाना खा लीजिए, आपने काफी देर से कुछ खाया नहीं .
दूसरे साल: जी खाना तैयार है, लगा दूं ?
तीसरे साल: खाना बन चुका है, जब खाना हो तब बता देना.
चौथे साल: खाना बनाकर रख दिया है, मैं बाजार जा रही हूं, खुद ही निकालकर खा लेना.
पांचवे साल: मैं कहती हूं आज मुझसे खाना नहीं बनेगा, होटल से ले आओ.
छठे साल: जब देखो खाना, खाना और खाना, अभी सुबह ही तो खाया था ...
Monday, 10 December 2007
बदमिजाज पतियों की पिटाई का फतवा!
पूर्व प्रकाशित ब्लॉग
Wednesday, 5 December 2007
पापा परिवार का हिस्सा नहीं !
लेकिन इससे उलट लंदन में किए गए एक सर्वेक्षण में चौंकाने वाली बात सामने आई है कि चार में से एक बच्चा अपने पिता को परिवार का हिस्सा नहीं मानता।
सर्वेक्षण के अनुसार ब्रिटेन में बच्चे अपनी मां को तो जानते हैं लेकिन पिता इस सुख से कोसों दूर हैं। तकरीबन 96 प्रतिशत बच्चे अपनी मां को मौजूदा परिवार का प्रमुख हिस्सा मानते हैं, जबकि 26 प्रतिशत बच्चे पिता को परिवार का अंग भी नहीं मानते।
'वार्ता' की खबर में दिए गए सर्वेक्षण की मानें तो एक-चौथाई बच्चों को अपने पिता की पारिवारिक भूमिका के बारे में कुछ पता ही नहीं हैं। यह सर्वेक्षण छह से 12 साल तक की उम्र वाले बच्चों पर किया गया था।
Monday, 3 December 2007
तलाक और पर्यावरण!
मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं को अध्ययन में पता चला है कि तलाक के बाद महिला घर छोड़कर एक नई गृहस्थी बसाने की तरफ बढ़ती है। लेकिन इसके बाद वह प्राकृतिक संसाधनों का कार्यकुशलता के साथ उपयोग नहीं करती। इसके साथ ही भूमि, आवास और घरेलू उपयोगी सामानों पर खर्च बढ़ जाता है।
‘न्यूज ऑस्ट्रेलिया’ के ऑनलाइन संस्करण के हवाले से बताया गया कि शोधकर्ताओं ने अमेरिका में 2001 और 2005 के बीच 3,283 घरों का सर्वेक्षण किया।
सर्वेक्षण में शोधकर्ताओं ने पाया कि तलाक के बाद गृहस्थी उपयोगी चीजों की मांग काफी बढ़ जाती है। गृहस्थ जीवन में जहां कमरे की मांग छह फीसदी की दर बढ़ती है वहीं तलाक के बाद प्रति व्यक्ति कमरे की संख्या में 61 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस की खबर में यह भी कहा गया है कि तलाक के बाद प्रति व्यक्ति कचरा उत्सर्जन में भी बढ़ोतरी हो जाती है। इन कारकों से पर्यावरण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन पर भी असर पड़ता है और जैव विविधता भी प्रभावित होती है।
Saturday, 1 December 2007
टीवी शो गोरों को सिखा रहा अरेंज मैरिज के फायदे
ब्रिटेन का एक नया टीवी शो गोरे अंग्रेजों को बता रहा है कि किस तरह अरेंज मैरिज से उनकी जिंदगी की तमाम झंझटें खत्म हो जाएंगी।
अरेंज मी ए मैरिज शो की एंकर अनीला रहमान 30 साल आयुवर्ग के एकाकी लोगों को लंबे समय तक साथ निभाने वाला साथी खोजने के गुर सिखा रही हैं। एशिया मूल की स्काटलैंड की नागरिक अनीला की शादी 15 साल पहले पारंपरिक ढंग से हुई थी। वह खुद सुखी पारिवारिक जीवन बिता रही हैं।
झंझटों से छुटकारा पाने के लिए वह युवा अंग्रेजों को शराबखाने या डिस्कोबार के चक्कर काटने के प्रचलित नुस्खे बताने की जगह उन्हें अरेंज मैरिज की सलाह दे रही हैं। उनकी युवाओं को सलाह है कि अपना साथी चुनते वक्त उसकी पढ़ाई-लिखाई, पृष्ठभूमि और उसके परिजनों के बारे में जानकारी हासिल करने पर ध्यान लगाएं।
39 साल की उम्र में भी चुलबुली नजर आने वाली अनीला ने इससे पहले किसी टीवी शो में काम नहीं किया है। उन्होंने बताया कि शो का मकसद लोगों को खुशी देना ही नहीं है, बल्कि ब्रिटेन में एक दूसरी संस्कृतियों को जानने की संस्कृति विकसित करना भी है। अनीला के जीवनसाथी स्काटलैंड से पाकिस्तान चले गए हैं। वह बताती हैं, यह तो जिंदगी का हिस्सा है। हम जिस एशियाई संस्कृति में पले बढ़े हैं यह उसका हिस्सा है। यह ऐसी चीज है जिसके बारे में अक्सर चर्चा होती रहती है।
पारंपरिक शादी ब्रिटेन में विवाद का मुद्दा रहा है। पांच साल पहले कैबिनेट मंत्री डेविड ब्लंकेट ने सुझाव दिया था कि एशियाई परिवार ब्रिटेन के भीतर ही जीवनसाथी खोजें और वर-वधू की खोज में विदेश न जाएं। इस बयान पर काफी हाय तौबा मची थी।
Thursday, 29 November 2007
फतवा : पति को पीट सकती हैं महिलायें !
एपी की खबर के अनुसार, आयतुल्लाह मोहम्मद हुसैन फदल्लाह ने ये फतवा (या आदेश) महिलाओं के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर दिया।
फदल्लाह ने अपने फतवे में कहा, “हमारा विचार है कि अगर एक पुरुष महिला के खिलाफ शारीरिक हिंसा करता है, और महिला जवाबी हमला किए बिना अपना बचाव नहीं कर सकती तो वह आत्मरक्षा में ऎसा कर सकती है।”
फदल्लाह ने अपने कार्यालय से जारी एक बयान में जोर देकर कहा है कि यद्यपि इस्लाम पुरुषों को अपने घरेलू मामलों में पत्नियों पर वरीयता देता है लेकिन “यह किसी भी हालत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा- यहां तक की बेइज्जती करने और उन्हें अपशब्द कहने की भी इजाजत नहीं देता। ”
लेबनान में शिया आबादी 12 लाख हैं और उनमें फदल्लाह को धार्मिक मामलों में उच्च स्थान हासिल है। उनके अनुयायी पूरे मध्य- पूर्व इलाके में हैं। पश्चिम उन्हें उनके हिज्बुल्लाह के साथ पूर्व में रहे रिश्तों की वजह से चरमपंथी मानता है। जबकि उन्होंने कई बार कई मुद्दों पर प्रगतिशील और अहिंसा का उदाहरण दिया है जिसकी वजह से उनके कुछ रुढ़िवादी समर्थक अचंभित हो जाते हैं।
फदल्लाह ने कुछ रुढ़िवादी मुस्लिम समाज में व्यभिचार के लिए महिला को जान से मारने की परंपरा की आलोचना की है। उन्होंने ये भी कहा है कि अगर एक आदमी किसी महिला के कानूनी और वैवाहिक अधिकारों को दबाने के लिए हिंसा का सहारा लेता है; जैसे कि वह घर में होनेवाले खर्चे में कटौती करता है,या फिर उससे शारीरिक संबंध रखने से बचता है, ऐसे में “उसके जवाब में पत्नी शादी के अनुबंध में किए गए करार से उसे वंचित कर सकती है। ”
फदल्लाह ने कहा कि पूरे संसार में औरतों को हिंसा का निशाना बनाया जाता है जबकि, “ महिलायें सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर सरकारी और गैर-सरकारी दोनों स्थानों पर बड़े ओहदों पर पहुंच चुकी हैं। ”
उन्होंने जोर देकर कहा कि काम के स्थानों पर और परिवार में महिलाओं के अधिकारों का आदर करना चाहिए।
Wednesday, 28 November 2007
सजने-संवरने में जिंदगी के तीन साल गंवा दिए !
औसतन महिलाएं रात में किसी बड़े आयोजन में जाने से पहले सजने-संवरने में सवा घंटा लगाती हैं। इसमें आखिरी समय में पहने हुए कपड़े बदलना, कपड़े को ठीक तरह से आईने के सामने खड़े होकर निहारना और अपने पर्स या हैंडबैग में चीजें ढूंढना शामिल है।
यह जानकर हैरानी होगी कि आमतौर पर महिलाएं नहाने और पैरों से बाल साफ करने में 22 मिनट, चेहरे या शरीर पर मॉइश्चराइजर या सन्सक्रीन लगाने में सात मिनट, 23 मिनट बाल संवारने में और 14 मिनट मेक-अप करने में लगती हैं। सही मायने में कपड़े पहनने में वे केवल छह मिनट लगाती हैं।
महिलाएं आमतौर पर हर सुबह काम पर जाने से पहले तैयार होने में 40 मिनट लेती हैं और यह सजना-संवरना उनकी जिंदगी के दो साल और नौ महीने खा जाता है।
पुरुषों की बात करें तो वे अपनी साथी द्वारा हैंडबैग खरीदने और एक और जोड़ी जूते पहनकर देखते वक्त उनके इंतजार में अपनी जिंदगी के तीन महीने गंवा देते हैं।
पुरुषों को अपनी साथी महिलाओं के तैयार होने और कपड़े पहनकर देखने की पूरी प्रक्रिया में बाहर खड़े रहकर इंतजार में 17 मिनट और 25 सेकंड लगाना पड़ता है।
डेली मेल के मुताबिक यह अध्ययन शार्लोट न्यूबर्ट द्वारा किया गया है।
इस जानकारी के बाद यह जानकर हैरत नहीं होगी कि अध्ययन के मुताबिक 70 प्रतिशत पुरुष इस तरह इंतजार करने से चिढ़ते हैं और 10 फीसदी पुरुषों ने तो इस कारण संबंध ही खत्म कर दिए हैं।
Monday, 26 November 2007
आलू की EMI , जिन्न और अलादीन
आलू के भाव जहां जा चुके थे, उनकी ईएमआई चुकाना अलादीन के बूते के बाहर की बात थी। अलादीन हैरान-परेशान बैठा था कि एक बोतल में जिन्न जैसा कुछ दिखाई दिया। जिन्न ने पूछा- प्यारे अलादीन, शादी के बाद यूं तो सब परेशान रहते हैं, पर तेरी परेशानी कुछ ज्यादा वोल्टेज की लग रही है, क्या सेंसेक्स डूबने से तू व्यथित है? सेंसेक्स डूबने के बाद कई बंदे इधर डूबने आते हैं, पर अब यहां पानी नहीं बचा है। डूबने वाले पत्थर से टकरा जाते हैं, हाथ-पैर तुड़वा बैठते हैं। घर वाले डांटते हैं कि अगर मरना ही है, तो किसी मकान का लोन लेकर किसी बैंक के गुंडों के हाथों मरो ताकि कुछेक लाख का मुआवजा कोर्ट दिलवा दे। इतना शर्मदार तू है नहीं कि चुल्लू भर पानी में डूब जाए। वैसे जो शख्स आलू की ईएमआई अफोर्ड न कर पाए, उसे डूब मरना चाहिए पर चुल्लू भर पीने का पानी भी उस भाव होने लगा है कि उसकी ईएमआई भी तू अफोर्ड ना कर सकता।
खैर, बता तेरे लिए कोई हूर का जुगाड़मेंट करूं। मेरे पास हूरों को बुलाने की पावर है।
अलादीन हूरों का नाम सुनकर डर गया और पूछने लगा- ओफ्फो तो हूरों भी आलू खाएंगी। उनके आलुओं का पैसा कहां से आएगा। अबे जिन्न, हूर-शूर तलाशने के दिन गए। यह बता कि आलू का जुगाड़ तू कर सकता है क्या। जिन्न हंसने लगा और बोला- बेट्टा अब आलुओं की ईएमआई अफोर्ड करना अगर मेरे बूते में होता, तो काहे को डर कर मैं इस बोतल में रहता। घर जाते हुए शर्म आती है कि आलू तक अफोर्ड नहीं कर सकता। सो अब बोतल में रहता हूं। लेटेस्ट खबर यह है कि जिन्न को बोतल से निकालने की बजाय अलादीन खुद भी बोतल में घुसकर रहने का प्रयास कर रहा है।
-आलोक पुराणिक का लेखांश, नवभारत टाइम्स से साभार
Saturday, 24 November 2007
मैं इस घर को आग लगा दूंगा ...
बिल्डर गैरी हूली अपनी पत्नी मिशेल से गुस्से में यह बात पहले भी कई बार कह चुका था। पुलिस को वह अपनी वैन में सोया हुआ मिला। हालांकि उसका कहना है कि यह काम उसका नहीं है। लेकिन उसका भरोसा किसी को नहीं। उसने उस रात काफी बियर पी थी।
नवभारत टाइम्स की खबर है कि घटना की रात दोनों मिशेल की एक सहेली के यहां पार्टी में गए थे। वहां भी गैरी काफी खराब मूड में था। मिशेल डांस करने गई। उसे अपने पर्स का ख्याल रखने को कहा तो वह नाराज हो गया। हालांकि बाद में दोनों ने साथ डांस किया तो उसका गुस्सा कुछ कम हुआ था। लेकिन बाद में फिर झगड़ा हो गया।
झगड़े की वजह से रात को मिशेल घर भी नहीं लौटी। अपनी सहेली के घर ही रुक गई। सुबह पुलिस से ही सूचना मिली कि उसके घर में आग लग गई है। उसके सारे कपड़े और दूसरा सामान भी जल गया।
50 वर्षीय हूली ने कुछ दिन पहले ही अपने बंगले का साज सज्जा करवाई थी। बंगला मिशेल के नाम में था। पहली शादी से मिले इस बंगले के बीमे की किस्तें भी वही दे रही थी। महंगे जेवरात और 70 जोड़े जूतों का भी बीमा कराया हुआ था।
गैरी और मिशेल बचपन से एक दूसरे को जानते थे। शादी से पहले 2 साल तक इश्क चला था। लेकिन शादी होते ही इश्क हवा हो गया। पिछली जुलाई से कई बार दोनों ने अदालत के कहने पर साथ रहने की कोशिश की। लेकिन कामयाबी नहीं मिली। लगता है यह समस्या सर्वव्यापी है.
Sunday, 11 November 2007
बेटा तो फंसा है ...
सास समझाए हो झगड़ा, मां का पाला तगड़ा
मायके की फटकार भाई को बुरी लगे
इस साइड बारंबार ससुराल में पति प्यार से समझाए
न बने मां बीबी की लड़ाई में दीवार
पति गर बोले तो मां दुखी, न बोले तो रात बेकार
तो हो कैसे समझौता, बेटा तो फंसा है यार
Wednesday, 7 November 2007
दो सगे भाइयों ने एक ही महिला से रचाई शादी
द्वापर युग में द्रौपदी ने पांच पांडवों को अपना पति स्वीकार किया था, वहीं कलयुग में कैलाशी के इस कदम से हर कोई हतप्रभ है। फर्क सिर्फ इतना है कि उसके पति पांच नहीं बल्कि दो होंगे, जिनके साथ वह महीने में 15-15 दिन रहेगी। इस बात की जानकारी गांव में हर किसी को थी।
रविवार दोपहर खेसरहा थाने से मात्र पचास मीटर दूर मुख्य सड़क पर एक छोटे से पक्के मकान में शादी की रस्में पूरी की गई। दूल्हा थे दो सगे भाई छोटे लाल और झीनक वर्मा , जबकि पत्नी थी चार बच्चों की मां कैलाशी देवी (45)। मंत्रोच्चार के बीच दोनों भाइयों ने कैलाशी के साथ सात फेरे लिए और उसके गले में अलग-अलग मंगल सूत्र डाले। शादी में दो सिंहोरे का भी प्रयोग हुआ। तीनों पति-पत्नी के रूप में बेहद खुश हैं। मूंगफली बेच कर जीवन-यापन करने वाले दोनों भाई इस उम्र में भी अविवाहित थे।
कैलाशी संग एक साथ ब्याह रचाने के सवाल पर छोटेलाल व झीनक ने बताया कि दोनों भाइयों में बेहद प्रेम है। अपनी सोच के अनुसार दोनों को एक साझा दूल्हन की तलाश थी, मगर इसके लिए कोई लड़की राजी न होती थी। आखिर पड़ोस के ग्राम पकड़डीहा के राम नारायन वर्मा की विधवा पुत्री और चार बच्चों की मां कैलाशी से रिश्ते की बात चली। पहले तो कैलाशी का पिता अपनी पुत्री का विवाह दोनों भाइयों से करने को राजी नहीं था, मगर कहीं और बात न बनते देख और कैलाशी की सहमति के बाद वह राजी हो गया। एक ही पत्नी के साथ दोनों कैसे रहेंगे, इस पर दोनों भाइयों का कहना था कि वह महीने में 15 दिन एक की पत्नी के रूप में और शेष 15 दिन दूसरे की पत्नी बन कर रहेगी। वहीं, इस बारे में कैलाशी का कहना था कि वह इस शादी से खुश है।
Sunday, 4 November 2007
प्रताडित पति ने एक करोड़ दान किये
इस साल जुलाई में शादी के महज १४ दिन बाद ही पेशे से लिपिक, फैजाबाद के श्रीकांत पाण्डेय (२९) की इनकी पत्नी से कतिपय मुद्दे पर अनबन हो गयी।
पत्नी सावित्री मायके चली गयी। पत्नी की वापसी के लिए श्रीकांत ने फैजाबाद की पारिवारिक अदालत में मुकद्दमा दायर किया।
जवाब में ससुराल वालों ने दो लाख के जेवर और तीन लाख रूपये नगद मांगने का आरोप लगाते हुए श्रीकांत के खिलाफ ही FIR लिखवा दी। इससे आहत श्रीकांत ने अपनी एक करोड़ रूपये मूल्य की पूरी चल-अचल सम्पति प्रधानमंत्री कोष में दान कर दी।
श्रीकांत के इस कदम से ससुराल वालों की ............*&^%@#%>< () ... गयी। उनके आग्रह पर गोरखपुर पुलिस की सहायता से पति पत्नी के बीच सुलह हो गयी, लेकिन श्रीकांत ने साफ कर दिया कि वे प्रधानमंत्री कोष में दान दी गयी सम्पति वापस नहीं लेंगे।
वाह।
Saturday, 3 November 2007
दो पाटन के बीच में
एक नवविवाहित युवक अपनी माँ और पत्नी के बीच बढ़ते मनमुटाव से बेचैन था।
'बेटा, बहू को समझा लेना।' 'देखिए, माँ को समझा दीजिए।' ये संवाद रह-रहकर उसके कानों में गूँजते रहते थे। वह दोनों के बीच सेंडविच बन चुका था। वह किसी एक के पक्ष में बोलकर स्थिति को बदतर नहीं करना चाहता था।
एक दिन उसे एक उपाय सूझा। उसने उस पर अमल करना शुरू कर दिया। जब भी उसकी माँ उसके सामने पत्नी की शिकायत करती तो वह कहता- माँ, आप बेकार ही बहू के पीछे पड़ी हैं। वह तो आपकी तारीफ करते हुए कहती है कि मुझे तो माँ जैसी सास मिली है। और जब रात को पत्नी की रामायण शुरू होती तो उससे कहता- पता नहीं तुम्हें क्या गलतफहमी है। माँ तो तुम्हें अपनी बेटी से भी बढ़कर मानती है और कहती है कि मैं कितनी भाग्यशाली हूँ जो ऐसी बहू मिली। इस तरह वह एक के सामने दूसरे पक्ष की तारीफ करने लगा। इससे धीरे-धीरे सास-बहू के मन में एक-दूसरे के प्रति प्यार उमड़ने लगा। अब तो वह पत्नी को कुछ कहता तो माँ डाँट देती और माँ से कुछ कहता तो पत्नी टोक देती।
-'दो पाटन के बीच में साबुत बचा है कोय', वेबदुनिया पर मनीष शर्मा के लेखांश
Thursday, 5 July 2007
पुत्र की भावनाएँ पिता के लिए
एक बेटा अपनी उम्र में क्या सोचता है?
४ साल - मेरे पापा महान हैं।
६ साल - मेरे पापा सब कुछ जानते हैं।
१० साल - मेरे पापा अच्छे हैं, लेकिन गुस्सैल हैं।
१२ साल - मेरे पापा, मेरे लिए बहुत अच्छे थे, जब मैं छोटा था।
१४ साल - मेरे पापा चिड़चिड़ाते हैं।
१६ साल - मेरे पापा ज़माने के हिसाब से नहीं चलते।
१८ साल - मेरे पापा हर बात पर नुक्ताचीनी करते हैं।
२० साल - मेरे पापा को तो बर्दाश्त करना मुश्किल होता जा रहा है, पता नही माँ इन्हें कैसे बर्दाश्त करती है?
२५ साल - मेरे पापा तो हर बात पर एतराज़ करते हैं।
३० साल - मुझे अपने बेटे को संभालना तो मुश्किल होता जा रहा है। जब मैं छोटा था, तब मैं अपने पापा से बहुत डरता था।
४० साल - मेरे पापा ने मुझे बहुत अनुशासन के साथ पाल-पोस कर बड़ा किया, मैं भी अपने बेटे को वैसा ही सिखाऊंगा।
४५ साल - मैं तो हैरान हूँ किस तरह से मेरे पापा ने मुझको इतना बड़ा किया।
५० साल - मेरे पापा ने मुझे पालने में काफी मुश्किलें ऊठाईं। मुझे तो तो बेटे को संभालना मुश्किल हो रहा है।
५५ साल - मेरे पापा कितने दूरदर्शी थे और उन्होंने मेरे लिए सभी चीजें कितनी योजना से तैयार की। वे अपने आप में अद्वितीय हैं, उनके जैसा कोई भी नहीं।
६० साल - मेरे पापा महान हैं.
Wednesday, 27 June 2007
इस ब्लॉग का औचित्य
अपने स्वतंत्र विचार, किसी भी संदर्भ में, लिख छोड़ता था।
ज़ाहिर है, पत्नियों (सारे संसार की!) के बारे में भी कुछ था ही।
बस एक दिन, वह डायरी लग गयी, 'उनके' हाथ।
… और मचा वो तांडव कि हमने डायरी को तुरंत लगा दी आग, यह कहकर कि 'सोच लेना कि इस डायरी के साथ मैं भी चला गया'
लेकिन ज़िन्दगी इम्तिहान लेती है।
पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच लगा, अरे मै तो अभी जीवित हूँ।
बस यह ब्लॉग बना डाला।
सिर ओखली में फिर दे दिया है, देखें कैसे-कैसे मूसलों का सामना होता है।