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Thursday, 5 July 2007

पुत्र की भावनाएँ पिता के लिए

इस पितृ-दिवस (Father's Day) पर बड़ी मजेदार चीज़ दिखी। आप भी आनंद उठाईये।

एक बेटा अपनी उम्र में क्या सोचता है?
४ साल - मेरे पापा महान हैं।
६ साल - मेरे पापा सब कुछ जानते हैं।
१० साल - मेरे पापा अच्छे हैं, लेकिन गुस्सैल हैं।
१२ साल - मेरे पापा, मेरे लिए बहुत अच्छे थे, जब मैं छोटा था।
१४ साल - मेरे पापा चिड़चिड़ाते हैं।
१६ साल - मेरे पापा ज़माने के हिसाब से नहीं चलते।
१८ साल - मेरे पापा हर बात पर नुक्ताचीनी करते हैं।
२० साल - मेरे पापा को तो बर्दाश्त करना मुश्किल होता जा रहा है, पता नही माँ इन्हें कैसे बर्दाश्त करती है?
२५ साल - मेरे पापा तो हर बात पर एतराज़ करते हैं।
३० साल - मुझे अपने बेटे को संभालना तो मुश्किल होता जा रहा है। जब मैं छोटा था, तब मैं अपने पापा से बहुत डरता था।
४० साल - मेरे पापा ने मुझे बहुत अनुशासन के साथ पाल-पोस कर बड़ा किया, मैं भी अपने बेटे को वैसा ही सिखाऊंगा।
४५ साल - मैं तो हैरान हूँ किस तरह से मेरे पापा ने मुझको इतना बड़ा किया।
५० साल - मेरे पापा ने मुझे पालने में काफी मुश्किलें ऊठाईं। मुझे तो तो बेटे को संभालना मुश्किल हो रहा है।
५५ साल - मेरे पापा कितने दूरदर्शी थे और उन्होंने मेरे लिए सभी चीजें कितनी योजना से तैयार की। वे अपने आप में अद्वितीय हैं, उनके जैसा कोई भी नहीं।
६० साल - मेरे पापा महान हैं.

5 comments:

चलते चलते said...

सुंदर रचना और सभी के लिए पढ़ने व सीखने योग्‍य। आज तक मां पर ही काफी लिखा गया लेकिन पापा पर पहली बार। किसी ने भी इस रचना पर टिप्‍पणी नहीं की अफसोस, शायद सब लोग अपने पापा के साथ व्‍यस्‍त हों।

PD said...

मैं इस बार 27 का हो जाउंगा.. और कम से कम अभी तक मेरे पापा अच्छे और महान तो हैं ही.. :)

Anonymous said...

mere papa yeh vastav mein marmik rachna hai.aur sabhi ko is ka ehasaas tabhi hota hai jab insaan swam is time se gujarta hai .ham manav hai aur hamera yeh nature hota hai ki hum apni galtiyo se hi seekte hai kisi ke anbhav se nahi seekhna chate .

manu sharma said...

comment posted by manu

PD said...

अपने ही एक पोस्ट को पढ़ते हुये आपके द्वारा दिये हुये लिंक को पढ़ने के लिये यहां एक बार फिर चला आया.. सोचा आपको बताता चलूं.. :)