पत्नियों को शायद यह पसंद न आए लेकिन एक ताजा अध्ययन के मुताबिक महिलाएं घर के बाहर निकलने से पहले सजने-संवरने में अपनी जिंदगी के महत्वपूर्ण तीन साल गंवा देती हैं।
औसतन महिलाएं रात में किसी बड़े आयोजन में जाने से पहले सजने-संवरने में सवा घंटा लगाती हैं। इसमें आखिरी समय में पहने हुए कपड़े बदलना, कपड़े को ठीक तरह से आईने के सामने खड़े होकर निहारना और अपने पर्स या हैंडबैग में चीजें ढूंढना शामिल है।
यह जानकर हैरानी होगी कि आमतौर पर महिलाएं नहाने और पैरों से बाल साफ करने में 22 मिनट, चेहरे या शरीर पर मॉइश्चराइजर या सन्सक्रीन लगाने में सात मिनट, 23 मिनट बाल संवारने में और 14 मिनट मेक-अप करने में लगती हैं। सही मायने में कपड़े पहनने में वे केवल छह मिनट लगाती हैं।
महिलाएं आमतौर पर हर सुबह काम पर जाने से पहले तैयार होने में 40 मिनट लेती हैं और यह सजना-संवरना उनकी जिंदगी के दो साल और नौ महीने खा जाता है।
पुरुषों की बात करें तो वे अपनी साथी द्वारा हैंडबैग खरीदने और एक और जोड़ी जूते पहनकर देखते वक्त उनके इंतजार में अपनी जिंदगी के तीन महीने गंवा देते हैं।
पुरुषों को अपनी साथी महिलाओं के तैयार होने और कपड़े पहनकर देखने की पूरी प्रक्रिया में बाहर खड़े रहकर इंतजार में 17 मिनट और 25 सेकंड लगाना पड़ता है।
डेली मेल के मुताबिक यह अध्ययन शार्लोट न्यूबर्ट द्वारा किया गया है।
इस जानकारी के बाद यह जानकर हैरत नहीं होगी कि अध्ययन के मुताबिक 70 प्रतिशत पुरुष इस तरह इंतजार करने से चिढ़ते हैं और 10 फीसदी पुरुषों ने तो इस कारण संबंध ही खत्म कर दिए हैं।
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3 comments:
हे ईश्वर !! एक भी टिप्पणी नही !! यहाँ तो एक अच्छा खासा विवाद खडा करने की पूरी गुंजाएश है ।
वैसे आपने व्यक्तिगत अनुभवों के आधार पर लिखा है न ,क्योंकि 'आमतौर पर महिलाएँ' पढना बडा हृदय विदारक है । यह शोध कहाँ से प्राप्त हुआ है आपको ? वैसे पुरुष भी ज़िन्दगी के आधे साल क्रिकेट मैच देखने और चौराहो, बैठको में ज्ञान बांटने [गप्प्बाज़ी]में पता नही कितने साल गँवा देते हैं। सजने संवरने के अलावा रसोई और पति बच्चो के रूमाल-कपडे -मोजे सम्भालने में कितने साल नष्ट करती हैं यह शोध कौन करता है?रसोई कपडे बर्तन घर की साज-संवार मे स्त्री को झोंक देने के बाद उसका कितना समय बचता है जिसमें पुरुष मैच देख पाता है,स्टॉक-ट्रेडिंग करता है,दोस्ती-यारी निभाता है,पढ लिख पाता है यहां तक कि ब्लॉगिंग कर पाता है। यह शोध भी होना ज़रूरी है ।
आप बेकार ही खुद को निरीह साबित करने पर तुले हैं । जब आपकी श्रीमती जी भी ब्लॉगिंग करने लगें तब मान लेंगे
अच्छा शोध है। लेकिन, मुझे उन पतियों पर तरस आ रहा है जो, पत्नी के तैयार होने के इंतजार में चिढ़ते रहते हैं। मैं तो तैयार होना ही तब शुरू करता हूं जब पत्नी की तैयारी आखिरी चरण में होती है। वैसे नोटपैड ने कई नए शोध पटक दिए हैं। सही शोध हो तो इस बारे में भी लिखें।
जैसा कि notepad द्वारा पूछा गया है कि 'यह शोध कहाँ से प्राप्त हुआ है आपको ?' तो बता दिया जाये कि डेली मेल के मुताबिक यह अध्ययन शार्लोट न्यूबर्ट द्वारा किया गया है जिन्होंने नेफ्रिया ‘ब्यूटी ब्रांड’ बाजार में पेश किया है।
इसे IBN टीवी चैनल पर भी प्रसारित किया गया था।
वैसे इस संबंध में पूर्व प्रकाशित पोस्ट में भी संशोधन कर दिया गया है।
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