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प्रो. गिलबर्ट का कहना है कि माता-पिता बच्चों पर वक्त और पैसे खर्च करते हैं। वे इसकी वापसी भी चाहते हैं। उनकी यह चाहत इस मान्यता की एक वजह बन जाती है कि बच्चे उनकी जिंदगी खुशगवार बनाते हैं। गिलबर्ट के अनुसार आंकड़े बताते हैं कि शादीशुदा लोग अविवाहितों, तलाकशुदा और अकेले रह रहे लोगों की अपेक्षा ज्यादा सुखी रहते हैं। शादीशुदा लोग न केवल लंबी जिंदगी जीते हैं, बल्कि यौन सुख का लुत्फ कुंवारों की तुलना में ज्यादा उठाते हैं। साथ ही वे प्रति व्यक्ति आय की तुलना में ज्यादा पैसा कमाते हैं। लेकिन जैसे ही उनके बच्चे होते हैं, सारी खुशी गायब हो जाती है। प्रोफेसर के मुताबिक बच्चा होने के बारे में सोचना खुशी देता है, लेकिन जब बच्चे हो जाते हैं तो परेशानियां शुरू हो जाती हैं। आपके वैवाहिक सुख में खलल पड़ने लगता है। यह समस्या तब और बढ़ जाती है जब बच्चे किशोरावस्था में पहुंचते हैं। प्रो. गिलबर्ट ने खुशी और इसके कारण विषय पर एक सेमिनार में ये बातें कहीं हैं।
3 comments:
प्रोफेसरों की समझदारी पर हमें अक्सर शक ही रहा है पर इस बार तो बंदा बात सही कह रहा लगता है।
:) क्या कहें.
ह्म्म , बात मे दम है !
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