भारतीय युवा वर्ग पाश्चात्य संस्कृति की गिरफ्त में इस कदर आ गया है कि आज उसे ज़रा सी बात पर सात फेरों का बंधन तोड़ने में जरा सी भी हिचक नहीं होती। एक युवक ने अपनी पत्नी को महज इसलिए तलाक देने का फैसला कर लिया क्योंकि वह जींस व अन्य पश्चिमी पहनावा पहनने से इनकार कर रही थी। वह तो भला हो अदालत का, जिसने दोनों को ढेरों नसीहतें देकर सुलह के लिए मामले को मध्यस्थता केंद्र के पास भेज दिया। राष्ट्रीय सहारा का समाचार है कि पूनम व पवन (बदले हुए नाम) ने तीन साल पहले प्रेम विवाह किया था लेकिन शादी के बाद दोनों के बीच पहनावे को लेकर विवाद शुरू हो गया। पवन अपनी पत्नी को जींस व अन्य पश्चिमी पहनावा पहनने के लिए जिद करने लगा लेकिन पूनम ने इनकार कर दिया। इसी बात को लेकर दोनों के बीच विवाद बढ़ गया और पूनम अपने मायके चली गई। करीब तीन महीने पहले पूनम को एक नोटिस मिला, जिसमें उसके पति ने तलाक के लिए अदालत में अर्जी दाखिल की थी।
पूनम ने कहा कि तलाक के लिए जो आरोप लगाए गए हैं, वे आधारहीन हैं। उसे यह अधिकार है कि वह किस तरह के कपड़े पहने। उसने यह भी कहा कि यदि इस बात के लिए पवन उसे तलाक देना चाहता है तो इसका मतलब यह है कि उसके पति के दिल में उसके ’प्रेम’ की कोई अहमियत नहीं है। इस मामले में अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद पति–पत्नी दोनों को आपस में सुलह करने को कहा। कोर्ट ने दोनों पक्षों को नसीहत देते हुए मामला मध्यस्थता केंद्र में भेज दिया। यहां पर दोनों में सुलह कराने के प्रयास किए जा रहे हैं।
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1 comment:
पतिनुमा प्राणी 45 वर्ष का ज़वान, कर्मठ सरकारी कर्मचारी, व्यस्क ज़ुडवां संतानों का पिता, महत्वाकांक्षी पत्नि का पति :- बेहतरीन परिचय ब्लॉग की थीम भी ज़बर्दस्त किस्म की संवेदन शील ,आपको ब्लॉग लिखते भाभी साहेब देखतीं होंगी जब आप "हर तीसरा पुरूष घरेलू हिंसा का शिकार" तो रिएक्शन क्या होता होगा मुझे इस बात का एहसास इस लिए है की मैं संयोग से "महिला-बाल-विकास अधिकारी" जो हूँ और अभी तो घरेलू हिंसा का मसला भी हमारे ही हाथ है
आप चाहें तो मेरे कमेन्ट को भाभी सा'ब को मत पड़वाइये....भाई मैं नेट पर घरेलू हिंसा क़ानून लिख पाने में असमर्थ हूँ...! टायपिंग स्पीड कम जो है....
मेरे मज़ाहिया कमेन्ट पे मुझे माफ़ करना जी
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