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इस सर्वे में 400 लोगों की राय शामिल की गई। इनसे टेलीफोन पर सवाल-जवाब किए गए। साक्षात्कार में पांच प्रतिशत पुरुषों ने पिछले साल घरेलू हिंसा का शिकार होने की बात स्वीकारी, जबकि 10 फीसदी ने पिछले पांच सालों के दौरान और 29 फीसदी पुरुषों ने जीवन में कभी न कभी घरेलू हिंसा का शिकार होने की बात कबूल की। यह सर्वे राबर्ट जे रीड की अगुवाई में हुआ। रीड का कहना है कि पुरुष प्रधान समाज में घरेलू हिंसा के शिकार पुरुष शर्मिदगी महसूस करते है, क्योंकि समाज में उनको शक्तिशाली माना जाता है। वह बताते हैं कि घरेलू हिंसा के शिकार पुरुषों में युवाओं की संख्या कहीं ज्यादा है। 55 साल से अधिक उम्र वाले लोगों की तुलना में युवाओं की संख्या दोगुनी बताई गई है। रीड ने कहा कि इसका कारण है कि 55 से ऊपर के पुरूष घरेलू हिंसा के बारे में बात करने को तैयार नहीं होते हैं। अध्ययन ने इस भ्रम को भी गलत साबित कर दिया है कि घरेलू हिंसा के शिकार पुरूषों पर इसका कोई गंभीर प्रभाव नहीं पड़ता। शोधकर्ताओं ने पाया कि घरेलू प्रताड़ना का शिकार पुरूषों के मानसिक स्वास्थ्य पर इसका काफी गंभीर प्रभाव पड़ता है।
सर्वे में घरेलू हिंसा के दायरे में धमकाना, अभद्र टिप्पणी, शारीरिक हिंसा-मारपीट या फिर यौन संबंध के लिए मजबूर करने करना आदि को शामिल किया गया था। अध्ययन रिपोर्ट ‘अमेरिकन जर्नल ऑफ प्रीवेंटिव मेडिसिन’ के जून में आने वाले अंक में प्रकाशित किया जाएगा।
3 comments:
खूब होते हैं पुरुष भी घरेलू हिंसा के शिकार। बस वे कहते नहीं और कहें भी तो उनकी बात पर ज्यादा भरोसा किया नहीं जाएगा। चिंता की बात है,,,,
गौर किया जाए कि यह अमेरिका का सर्वे है और सर्वे का नमूना क्या था या सर्वे मे इसके क्या कारण बताए गये उन्हें जानना ज़रूरी है जिसके बिना नतीजों तक नही पहुँचा जा सकता ।
तीसरा है या चौथा है ये तो नही मालूम पर हाँ पुरूष भी इसके शिकार है ये सच है ...
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