धूम्रपान की आदत एक युवती को इतनी महंगी पड़ी कि उसका विवाह टूटते-टूटते बचा। महिला ने एक शपथ-पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं कि अगर वह दोबारा धूम्रपान करेगी तो उसका पति उसे बिना गुजारा भत्ता दिए तलाक दे सकेगा। युवती का पति धूम्रपान नहीं करता है और वह इसी शर्त पर अपनी पत्नी को मायके से वापस लाया है कि वह अब धूम्रपान नहीं करेगी।
हुआ यूं कि घर में अलग-अलग जगहों से सिगरेट की गंध आनी शुरू हो गई। इससे घरवालों को आश्चर्य हुआ क्योंकि घर में और कोई सिगरेट नहीं पीता था। खिड़कियों के आस-पास सिगरेट के टोटों ने इस बात की पुष्टि कर दी कि घर में कोई धूम्रपान कर रहा है। अमरावती की रहने वाली यह युवती अपने कालेज के समय में धूम्रपान की आदी हो गई थी और वह अपनी ससुराल में छिपकर सिगरेट पीती थी। एक दिन उसके सास-ससुर ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया।
पकड़े जाने पर युवती ने कहा कि वह कई बार धूम्रपान की आदत छोड़ने की कोशिश कर चुकी है लेकिन उसे इसमें सफलता हासिल नहीं हुई। घरवालों ने उसे कड़ी चेतावनी देकर छोड़ दिया लेकिन वह अपनी आदत नहीं त्याग पाई और उसने छिप-छिप कर दोबारा सिगरेट पीना शुरू कर दिया। धूम्रपान छोड़ने संबंधी कोर्स पूरा करने के बाद उसका पति उसे वापस ले आया है लेकिन एक हलफनामे के साथ।
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Monday, 29 September 2008
Sunday, 21 September 2008
मां का जुड़ाव, सिजेरियन के बजाय सामान्य प्रसव से पैदा हुए बच्चे से ज्यादा
धरती पर सबसे प्रगाढ़ और करीबी रिश्ता मां और उसके बच्चे का होता है। लेकिन हाल में हुए एक शोध में खुलासा किया गया है कि मां का जुड़ाव आपरेशन (सिजेरियन) के बजाय सामान्य प्रसव से पैदा हुए बच्चे से ज्यादा होता है। अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी के प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर जेम्स स्वेन ने शोध के दौरान सिजेरियन बच्चे की मांओं और सामान्य प्रसव से हुए बच्चों की मांओं की ब्रेन स्कैनिंग की। स्कैनिंग के दौरान उन्हें बच्चे के रोने की आवाज भी सुनाई गई। साथ ही उनके बच्चों की देखभाल करने संबंधी विचार भी जाने गए।
जिन मांओं के बच्चे सामान्य प्रसव से पैदा हुए थे उनके मस्तिष्क के कार्टेक्स में रोने की आवाज पर ज्यादा प्रतिक्रिया देखी गई। कार्टेक्स मस्तिष्क का वह हिस्सा होता है जो भावनाओं और संवेदनाओं के लिए जिम्मेदार होता है। स्वेन के मुताबिक सामान्य प्रसव से पैदा हुए बच्चों से ज्यादा जुड़ाव के पीछे न्यूरोहार्मोनल कारक जिम्मेदार हो सकते हैं। इनमें आक्सीटोसिन हार्मोन प्रमुख है। आक्सीटोसिन हार्मोन भावनात्मक जुड़ाव और प्यार का एहसास करने में बड़ी भूमिका निभाता है। इसके उलट सिजेरियन प्रसव में न्यूरोहार्मोनल कारकों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है जिसके कारण बच्चों से लगाव घट जाता है और प्रसवोत्तर अवसाद का खतरा भी बढ़ जाता है। इन सबके बावजूद स्वेन का कहना है कि हमारा इरादा भ्रांति पैदा करना नहीं है।
जिन मांओं के बच्चे सामान्य प्रसव से पैदा हुए थे उनके मस्तिष्क के कार्टेक्स में रोने की आवाज पर ज्यादा प्रतिक्रिया देखी गई। कार्टेक्स मस्तिष्क का वह हिस्सा होता है जो भावनाओं और संवेदनाओं के लिए जिम्मेदार होता है। स्वेन के मुताबिक सामान्य प्रसव से पैदा हुए बच्चों से ज्यादा जुड़ाव के पीछे न्यूरोहार्मोनल कारक जिम्मेदार हो सकते हैं। इनमें आक्सीटोसिन हार्मोन प्रमुख है। आक्सीटोसिन हार्मोन भावनात्मक जुड़ाव और प्यार का एहसास करने में बड़ी भूमिका निभाता है। इसके उलट सिजेरियन प्रसव में न्यूरोहार्मोनल कारकों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है जिसके कारण बच्चों से लगाव घट जाता है और प्रसवोत्तर अवसाद का खतरा भी बढ़ जाता है। इन सबके बावजूद स्वेन का कहना है कि हमारा इरादा भ्रांति पैदा करना नहीं है।
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Wednesday, 3 September 2008
शादी टूटने का कारण किसी की बेवफाई या अड़ियलपन नहीं, बल्कि खास जीन
शादी टूटना गंभीर समस्या है। मियां-बीवी के बीच व्यवहार संबंधी कई कारणों को इसका जिम्मेदार बताया जाता है। लेकिन स्वीडन के शोधकर्ताओं की मानें तो शादी टूटने का कारण किसी एक की बेवफाई या अड़ियलपन नहीं बल्कि खास जींन होते है। ये जीन पुरुष और महिला के जुड़ाव में भी अहम भूमिका निभाते हैं। वैज्ञानिकों ने तलाक और पुरुषों में मिलने वाले एक जीन के बीच एक खास संबंध देखा है। अब बहुत मुमकिन है कि कुछ समय बाद तलाक के मसले सुलझाने के लिए दंपती काउंसिलर की जगह जिनेटिक क्लीनिक की राह पकड़ने लगें।
कैरोलिंस्का इंस्टिट्यूट, स्टॉकहोम के हसी वैलम और उनके सहयोगियों का कहना है कि किसी भी रिश्ते में समस्याओं के कई कारण हो सकते हैं। वैलम भी जोर देकर कहते हैं कि महज़ जीन के आधार पर किसी पुरुष के व्यवहार का आकलन करना ठीक नहीं होगा। लेकिन वह यह भी कहते हैं कि इस जीन में इसी तरह के असर से हमारे शोध को काफी बल मिलता है। फिर भी इस शोध से इस बात की उम्मीद की जा सकती है कि वैज्ञानिक एक दिन ऐसी दवाएं बना सकेंगे जो इस जीन पर असर करके शादियों को टूटने से बचा सकें।
कैरोलिंस्का इंस्टिट्यूट, स्टॉकहोम के हसी वैलम और उनके सहयोगियों का कहना है कि किसी भी रिश्ते में समस्याओं के कई कारण हो सकते हैं। वैलम भी जोर देकर कहते हैं कि महज़ जीन के आधार पर किसी पुरुष के व्यवहार का आकलन करना ठीक नहीं होगा। लेकिन वह यह भी कहते हैं कि इस जीन में इसी तरह के असर से हमारे शोध को काफी बल मिलता है। फिर भी इस शोध से इस बात की उम्मीद की जा सकती है कि वैज्ञानिक एक दिन ऐसी दवाएं बना सकेंगे जो इस जीन पर असर करके शादियों को टूटने से बचा सकें।
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