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जिन मांओं के बच्चे सामान्य प्रसव से पैदा हुए थे उनके मस्तिष्क के कार्टेक्स में रोने की आवाज पर ज्यादा प्रतिक्रिया देखी गई। कार्टेक्स मस्तिष्क का वह हिस्सा होता है जो भावनाओं और संवेदनाओं के लिए जिम्मेदार होता है। स्वेन के मुताबिक सामान्य प्रसव से पैदा हुए बच्चों से ज्यादा जुड़ाव के पीछे न्यूरोहार्मोनल कारक जिम्मेदार हो सकते हैं। इनमें आक्सीटोसिन हार्मोन प्रमुख है। आक्सीटोसिन हार्मोन भावनात्मक जुड़ाव और प्यार का एहसास करने में बड़ी भूमिका निभाता है। इसके उलट सिजेरियन प्रसव में न्यूरोहार्मोनल कारकों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है जिसके कारण बच्चों से लगाव घट जाता है और प्रसवोत्तर अवसाद का खतरा भी बढ़ जाता है। इन सबके बावजूद स्वेन का कहना है कि हमारा इरादा भ्रांति पैदा करना नहीं है।
5 comments:
हो सकता है !
विशुद्ध बकवास बात है.
मां का जुडाव उस नन्हीं जान से होता है जिसे वो ४० हफ्तों तक अपने गर्भ में सहेजे रहती है. वो चाहे सिजेरियन से जन्म ले या सामान्य प्रसव से, मां की ममता पर कोई फर्क नहीं पड़ता. ये हारमोन वारमोन की कहानी रहने दीजिये.
ना जी.. ये शोध कई घटकों पर निर्भर करता है.. यदि कोई दुसरे ग्रुप में दोहराये तो हो सकता है कि परिणाम उल्टे आयें..
भुत जी भी सही कह्ते है...
नही यह सम्भव नही है... माँ का जुडाव बच्चे से हर हालत में रहता है ..
mamta kam ya adhik nahi ho sakti...
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