पत्नी से तलाक के बाद ऑस्ट्रेलिया में इंटरनेट के जरिये अपने घर, नौकरी और अपने मित्रों से मुलाकात के मौके सहित अपना जीवन बेच रहे इयान ने कहा कि उसने अपने जीवन को 399 हजार ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (383.23 हजार अमेरिकी डॉलर या 1,63,68,039 भारतीय रूपयों) में इसे बेचा है।
ब्रिटेन में पैदा हुए इयान अशर (44) ने पश्चिमी शहर पर्थ में अपना घर, कार, मोटरसाइकिल, जेट स्की और अपना अन्य सामान बेचने का फैसला किया। लाइफ पैकेज में न सिर्फ कपड़ों और डीवीडी जैसे संग्रह शामिल था बल्कि कारपेट सेल्समैन की उसकी पुरानी नौकरी और उसके कुछ मित्रों से मुलाकात का मौका भी शामिल था। इंटरनेट नीलामी साइट इबे पर सात दिन चली बिक्री के बाद अशर ने कहा, 'अंतिम कीमत 399 हजार ऑस्ट्रेलियाई डॉलर रही। यह पूछने पर कि कीमत के बारे में वह क्या महसूस करता है उसने कहा कि यह काफी अच्छी है।
इयान के अन्तिम संदेश, सहित अन्य ब्लॉग संदेश यहाँ देखे जा सकते हैं।
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Monday, 30 June 2008
Sunday, 29 June 2008
प्यार, सेक्स, विवाह के लिए हल्की दाढ़ी वालों को पसंद करती हैं महिलायें
बहुत से पुरूष महिलाओं को रिझाने के लिए दाढ़ी मूंछ मुंडा देते हैं, लेकिन एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि महिलाएं प्रेम, सेक्स और शादी के लिए उन पुरूषों को अधिक पसंद करती हैं जिनकी ठुड्डी पर हल्की दाढ़ी होती है। इस विषय को लेकर ब्रिटेन में अनुसंधानकर्ताओं ने एक शोध किया और पाया कि महिलाएं ‘क्लीन शेव’ या पूरी दाढ़ी रखने वाले पुरूषों की तुलना में उन पुरूषों की तरफ अधिक आकर्षित होती हैं जो हल्की दाढ़ी रखते हैं।
ब्रिटिश अखबार द संडे टेलीग्राफ में अग्रणी अनुसंधानकर्ता और नोर्थुम्ब्रिया यूनिवर्सिटी के डाक्टर निक नीव के हवाले से कहा गया है, पुरूषों का हल्का दाढ़ी युक्त चेहरा सेक्स का एक शक्तिशाली संकेतक है और यह स्पष्ट तौर पर सेक्स परिपक्वता की जैविक पहचान भी है। अपने अध्ययन में अनुसंधानकर्ताओं ने नवीनतम कंप्यूटर प्रौघोगिकी का इस्तेमाल कर 15 पुरूषों की तस्वीरों को विभिन्न आयामों में देखा। इन तस्वीरों में क्लीन शेव, हल्की दाढ़ी, भारी भरकम दाढ़ी और पूरी दाढ़ी रखने वाले पुरूषों की तस्वीरों को शामिल किया गया। ये तस्वीरें 76 महिलाओं को दिखाई गईं और उनसे पूछा गया कि वे इनमें से किस पुरूष को कितना पसंद करती हैं। वे इनमें से किस व्यक्ति को कम या दीर्घावधि के लिए अपना हमसफर बनाना चाहेंगी। इस अध्ययन से पता चला कि महिलाओं ने प्यार, सेक्स और विवाह के लिए उन लोगों को सबसे अधिक पसंद किया जिनके चेहरे पर हल्की दाढ़ी थी। अध्ययन के परिणाम Personality and Individual Differences पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।
The Sunday Telegraph की खबर यहाँ देखी जा सकती है।
ब्रिटिश अखबार द संडे टेलीग्राफ में अग्रणी अनुसंधानकर्ता और नोर्थुम्ब्रिया यूनिवर्सिटी के डाक्टर निक नीव के हवाले से कहा गया है, पुरूषों का हल्का दाढ़ी युक्त चेहरा सेक्स का एक शक्तिशाली संकेतक है और यह स्पष्ट तौर पर सेक्स परिपक्वता की जैविक पहचान भी है। अपने अध्ययन में अनुसंधानकर्ताओं ने नवीनतम कंप्यूटर प्रौघोगिकी का इस्तेमाल कर 15 पुरूषों की तस्वीरों को विभिन्न आयामों में देखा। इन तस्वीरों में क्लीन शेव, हल्की दाढ़ी, भारी भरकम दाढ़ी और पूरी दाढ़ी रखने वाले पुरूषों की तस्वीरों को शामिल किया गया। ये तस्वीरें 76 महिलाओं को दिखाई गईं और उनसे पूछा गया कि वे इनमें से किस पुरूष को कितना पसंद करती हैं। वे इनमें से किस व्यक्ति को कम या दीर्घावधि के लिए अपना हमसफर बनाना चाहेंगी। इस अध्ययन से पता चला कि महिलाओं ने प्यार, सेक्स और विवाह के लिए उन लोगों को सबसे अधिक पसंद किया जिनके चेहरे पर हल्की दाढ़ी थी। अध्ययन के परिणाम Personality and Individual Differences पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।
The Sunday Telegraph की खबर यहाँ देखी जा सकती है।
Saturday, 28 June 2008
शादीशुदा लोगों से ज्यादा तलाकशुदा
शादी के लायक लोगों की संख्या बढ़ रही है, पर शादी करने की इच्छा रखने वालों की संख्या में कमी आ रही है। पिछले कुछ सालों में तलाक के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। यही कारण है कि 16 वर्ष से अधिक आयु के ज्यादातर लोग या तो अकेले हैं, तलाकशुदा हैं या फिर अपने साथी को खो चुके हैं। ब्रिटेन में तलाकशुदा लोगों की संख्या शादीशुदा लोगों से अधिक है। हाल ही में जारी आधिकारिक आंकड़े यही साबित करते हैं। ऑफिस ऑफ नेशनल स्टेटिस्टिक्स (ओएनएस) के अनुसार वर्ष 2006 में इंग्लैंड और वेल्स में 2,36,980 शादियां हुईं, जो वर्ष 1895 से लेकर आज तक का न्यूनतम आंकड़ा है।
वर्ष 2005 के आंकड़ों के मुताबिक इंग्लैंड और वेल्स के शादीशुदा वयस्कों की संख्या घटकर 50.3 प्रतिशत पर पहुंच गई है। शादीशुदा जोड़ों की संख्या में वर्ष 1997 से लगातार गिरावट आ रही है और वर्ष 2006 तक शादीशुदा जोड़ों का अनुपात गिरकर आधे से भी कम रह गया है। हालांकि वर्ष 1995 में कुल जनसंख्या में शादीशुदा जोड़ों का आंकड़ा 56 प्रतिशत था। उसके बाद इसमें प्रतिवर्ष 1,00,000 से 1,50,000 की गिरावट आई। ओएनएस की रिपोर्ट के अनुसार इसका एक कारण अधिक उम्र में शादी होना भी है। हाल के अनुमान के मुताबिक शादीशुदा लोगों का अनुपात गिरेगा, लेकिन एक निश्चित अनुपात में लोग शादी भी करेंगे।
सिविटास थिंक टैंक के रॉबर्ट व्हेलान कहते हैं कि कम शादी होने के चलन में कोई कमी आती नहीं दिख रही है। भविष्य में बहुत ही कम लोग शादीशुदा जोड़े के रूप में साथ रहेंगे। इस चलन के बुरे प्रभाव खराब स्वास्थ्य, कम आमदनी, नशीली दवाओं, शराब का सेवन, अपराध तथा असामाजिक व्यवहार के रूप में नजर आते हैं। व्हेलान कहते हैं कि यह दुर्भाज्ञपूर्ण है कि सरकार में किसी को इस प्रवत्ति की कोई परवाह नहीं है।
वर्ष 2005 के आंकड़ों के मुताबिक इंग्लैंड और वेल्स के शादीशुदा वयस्कों की संख्या घटकर 50.3 प्रतिशत पर पहुंच गई है। शादीशुदा जोड़ों की संख्या में वर्ष 1997 से लगातार गिरावट आ रही है और वर्ष 2006 तक शादीशुदा जोड़ों का अनुपात गिरकर आधे से भी कम रह गया है। हालांकि वर्ष 1995 में कुल जनसंख्या में शादीशुदा जोड़ों का आंकड़ा 56 प्रतिशत था। उसके बाद इसमें प्रतिवर्ष 1,00,000 से 1,50,000 की गिरावट आई। ओएनएस की रिपोर्ट के अनुसार इसका एक कारण अधिक उम्र में शादी होना भी है। हाल के अनुमान के मुताबिक शादीशुदा लोगों का अनुपात गिरेगा, लेकिन एक निश्चित अनुपात में लोग शादी भी करेंगे।
सिविटास थिंक टैंक के रॉबर्ट व्हेलान कहते हैं कि कम शादी होने के चलन में कोई कमी आती नहीं दिख रही है। भविष्य में बहुत ही कम लोग शादीशुदा जोड़े के रूप में साथ रहेंगे। इस चलन के बुरे प्रभाव खराब स्वास्थ्य, कम आमदनी, नशीली दवाओं, शराब का सेवन, अपराध तथा असामाजिक व्यवहार के रूप में नजर आते हैं। व्हेलान कहते हैं कि यह दुर्भाज्ञपूर्ण है कि सरकार में किसी को इस प्रवत्ति की कोई परवाह नहीं है।
Wednesday, 25 June 2008
जो पांचों सवालों के सही उत्तर देगा, उसी को वह अपना वर चुनेगी।
शादी तो हर किसी की होती है, लेकिन वह इस कलियुग में स्वयंवर के माध्यम से अपने लिए वर ढूंढ़कर एक अलग मिसाल पेश करना चाहती है। स्वयंवर रचाने का निर्णय उसका अपना है। वह कुछ ऐसा करना चाहती है, जिसे सारी दुनिया याद रखे। त्रेतायुग में जनकपुर की राजकुमारी सीता के स्वयंवर की तरह यह स्वयंवर भी अनोखा होगा, लेकिन इसमें धनुष तोड़ने जैसी विशेष कला का प्रदर्शन नहीं होगा। अन्नपूर्णा के स्वयंवर में सम्मिलित हुए वरों से पांच सवाल पूछे जाएंगे। यह सवाल अभी गुप्त रखे गए हैं। आयोजन के दिन ही इसे सामने लाया जाएगा, जो वर पांचों सवालों के सही उत्तर देगा, उसी को अन्नपूर्णा अपना वर चुनेगी।
छत्तीसगढ़ में बालोद से 10 किमी दूर ग्राम घुमका में हल्बा समाज की, 13 सितंबर 1986 को जन्मी, अन्नपूर्णा के लिए स्वयंवर रचा जा रहा है। स्वयंवर समारोह में ऐसे वर सम्मिलित होंगे, जो अपने आपको अन्नपूर्णा के योग्य समझते हैं। स्वयंवर में भाग लेने वाले को पांच सवाल के जवाब तो देने ही होंगे, लेकिन इसके पहले उन्हें अपनी योग्यता का परिचय भी देना होगा। स्वयंवर की शर्त यह है कि युवक आदिवासी हल्बा समाज का ही हो। भंडारी गोत्र वाला युवक स्वयंवर में भाग नहीं ले सकेगा। वर की आयु कम से कम 22 और अधिकतम 26 वर्ष हो। स्वयंवर में बालोद, गुंडरदेही, लोहारा, गुरूर, धमतरी इन पांचों तहसील के ही युवक भाग लेंगे। स्वयंवर में भाग लेने के इच्छुक युवक 3 जुलाई तक ग्राम घुमका में आयोजक परिवार से संपर्क कर अपनी इच्छा व्यक्त कर सकते है।
अन्नपूर्णा के लिए योग्य वर का चुनाव स्वयंवर के माध्यम से हो,यह इच्छा माता पलटीन बाई और पिता रामरतन ठाकुर की भी थी। उनका परिवार रामचरित मानस कथा से काफी प्रभावित हैं, इसलिए वे भी इसका अनुकरण करते हुए सामान्य से हटकर कुछ अलग करने की चाह रखते हैं। पूरे गांव में उत्सवी माहौल होगा। स्वयंवर की खबर दूर-दूर तक पहुंच चुकी है। गली-गली में पंपलेट चिपकाया जा रहा है। लोगों में चर्चा होने लगी है। बड़ी संख्या में लोगों के आने की उम्मीद है। 8 जुलाई के दिन स्वयंवर आयोजित है। स्वयंवर समाप्ति के बाद सामाजिक रीति रिवाज एवं परंपरा अनुसार विवाह संपन्न कराया जायेगा।
(समाचार व चित्र दैनिक भास्कर से साभार)
छत्तीसगढ़ में बालोद से 10 किमी दूर ग्राम घुमका में हल्बा समाज की, 13 सितंबर 1986 को जन्मी, अन्नपूर्णा के लिए स्वयंवर रचा जा रहा है। स्वयंवर समारोह में ऐसे वर सम्मिलित होंगे, जो अपने आपको अन्नपूर्णा के योग्य समझते हैं। स्वयंवर में भाग लेने वाले को पांच सवाल के जवाब तो देने ही होंगे, लेकिन इसके पहले उन्हें अपनी योग्यता का परिचय भी देना होगा। स्वयंवर की शर्त यह है कि युवक आदिवासी हल्बा समाज का ही हो। भंडारी गोत्र वाला युवक स्वयंवर में भाग नहीं ले सकेगा। वर की आयु कम से कम 22 और अधिकतम 26 वर्ष हो। स्वयंवर में बालोद, गुंडरदेही, लोहारा, गुरूर, धमतरी इन पांचों तहसील के ही युवक भाग लेंगे। स्वयंवर में भाग लेने के इच्छुक युवक 3 जुलाई तक ग्राम घुमका में आयोजक परिवार से संपर्क कर अपनी इच्छा व्यक्त कर सकते है।
अन्नपूर्णा के लिए योग्य वर का चुनाव स्वयंवर के माध्यम से हो,यह इच्छा माता पलटीन बाई और पिता रामरतन ठाकुर की भी थी। उनका परिवार रामचरित मानस कथा से काफी प्रभावित हैं, इसलिए वे भी इसका अनुकरण करते हुए सामान्य से हटकर कुछ अलग करने की चाह रखते हैं। पूरे गांव में उत्सवी माहौल होगा। स्वयंवर की खबर दूर-दूर तक पहुंच चुकी है। गली-गली में पंपलेट चिपकाया जा रहा है। लोगों में चर्चा होने लगी है। बड़ी संख्या में लोगों के आने की उम्मीद है। 8 जुलाई के दिन स्वयंवर आयोजित है। स्वयंवर समाप्ति के बाद सामाजिक रीति रिवाज एवं परंपरा अनुसार विवाह संपन्न कराया जायेगा।
(समाचार व चित्र दैनिक भास्कर से साभार)
Tuesday, 24 June 2008
प्यार और शादी की कोई उम्र नहीं
उज्जैन के शिवशक्तिनगर निवासी ८४ वर्षीय शंकरसिंह ने 57 वर्षीय विमलाबाई से शादी कर यह बात सिद्ध कर दी है कि प्यार और शादी की कोई उम्र नहीं होती है। ९ जून को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी कर यह वृद्ध युगत हमेशा के लिए एक-दूसरे के हो गए। दोनों कई सालों से एकाकी जिंदगी जी रहे थे। अकेलेपन को दूर करने के लिए जीवन की सांझ में दोनों ने साथ रहने का फैसला किया। दैनिक भास्कर में आयी ख़बर के अनुसार, शंकरसिंह और विमलाबाई दोनों का घर शिवशक्तिनगर में ही है। विमलाबाई के पहले पति संग्रामसिंह की मृत्यु १९९४ में हुई। वह तब से ही अकेली रह रही थी। शंकरसिंह की हालत भी ऐसी ही थी। उनकी पत्नी नर्मदाबाई की मृत्यु २००७ में हुई। दोनों की कोई संतान भी नहीं थी। शंकरसिंह एमपीईबी से रिटायर्ड हैं। दोनों का गुजारा शंकर की पेंशन से होगा।
शंकरसिंह की पत्नी नर्मदाबाई अंतिम दिनों में बीमार रहती थीं। पड़ोस में रहने की वजह से विमलाबाई नर्मदाबाई की देख-रेख करने के लिए शंकरसिंह के घर आती-जाती थी। नर्मदाबाई की मृत्यु के बाद शंकरसिंह अकेले रह गए। दोनों में आपसी समझ अच्छी थी, अत: शादी का निर्णय कर लिया। ६ मई को वकील काजी अखलाक एहमद के माध्यम से एडीएम कोर्ट में शादी की अर्जी दी गई। वहां से ९ जून को दोनों की शादी मंजूर हुई। दोनों ने शपथ पत्र में जीवन के एकाकीपन को शादी की वजह बताया। उन्होंने बताया कि दोनों के जीवनसाथी अब इस दुनिया में नहीं है और कोई संतान भी नहीं है, अत: वे एक-दूसरे के साथ जीवन के अंतिम दिन गुजारना चाहते हैं।
शंकरसिंह की पत्नी नर्मदाबाई अंतिम दिनों में बीमार रहती थीं। पड़ोस में रहने की वजह से विमलाबाई नर्मदाबाई की देख-रेख करने के लिए शंकरसिंह के घर आती-जाती थी। नर्मदाबाई की मृत्यु के बाद शंकरसिंह अकेले रह गए। दोनों में आपसी समझ अच्छी थी, अत: शादी का निर्णय कर लिया। ६ मई को वकील काजी अखलाक एहमद के माध्यम से एडीएम कोर्ट में शादी की अर्जी दी गई। वहां से ९ जून को दोनों की शादी मंजूर हुई। दोनों ने शपथ पत्र में जीवन के एकाकीपन को शादी की वजह बताया। उन्होंने बताया कि दोनों के जीवनसाथी अब इस दुनिया में नहीं है और कोई संतान भी नहीं है, अत: वे एक-दूसरे के साथ जीवन के अंतिम दिन गुजारना चाहते हैं।
Monday, 16 June 2008
बीवी से परेशान होकर जेल में रहना स्वीकारा
इटली में एक शख्स अपनी पत्नी से इस कदर परेशान था कि उसने घर में रहने के बजाय जेल में रहना पसंद किया। दरअसल, लुइगी फॉलेरियो (45) को चोरी के जुर्म में दो साल की सजा हुई थी। जेल के अधिकारियों ने सजा का दूसरा साल उसे घर में नजरबंदी की हालत में गुजारने को कहा। लेकिन घर जाने के दो दिन बाद ही फॉलेरियो वहां से भागकर पोंटे सैन लिअनार्दो जेल पहुंच गया।
उसने अधिकारियों से गुहार लगाई कि मुझे फिर जेल के अपने पहले वाले सेल में भेज दिया जाए। मैं घर में अपनी पत्नी के साथ नहीं रह सकता। जेल के वार्डन से उसने कहा कि मेरी पत्नी कभी लड़ना-झगड़ना नहीं छोड़ सकती।
उसने अधिकारियों से गुहार लगाई कि मुझे फिर जेल के अपने पहले वाले सेल में भेज दिया जाए। मैं घर में अपनी पत्नी के साथ नहीं रह सकता। जेल के वार्डन से उसने कहा कि मेरी पत्नी कभी लड़ना-झगड़ना नहीं छोड़ सकती।
Sunday, 15 June 2008
पुत्र की भावनाएँ पिता के लिए, उर्फ फादर्स डे
इस पितृ-दिवस (Father's Day) पर पिछले साल की पोस्ट याद हो आयी। शायद कईयों ने न देखी हो इसलिए पुन: प्रस्तुत है। आप भी आनंद उठाईये।
एक बेटा अपनी उम्र में क्या सोचता है?
४ साल - मेरे पापा महान हैं।
६ साल - मेरे पापा सब कुछ जानते हैं।
१० साल - मेरे पापा अच्छे हैं, लेकिन गुस्सैल हैं।
१२ साल - मेरे पापा, मेरे लिए बहुत अच्छे थे, जब मैं छोटा था।
१४ साल - मेरे पापा चिड़चिड़ाते हैं।
१६ साल - मेरे पापा ज़माने के हिसाब से नहीं चलते।
१८ साल - मेरे पापा हर बात पर नुक्ताचीनी करते हैं।
२० साल - मेरे पापा को तो बर्दाश्त करना मुश्किल होता जा रहा है, पता नही माँ इन्हें कैसे बर्दाश्त करती है?
२५ साल - मेरे पापा तो हर बात पर एतराज़ करते हैं।
३० साल - मुझे अपने बेटे को संभालना तो मुश्किल होता जा रहा है। जब मैं छोटा था, तब मैं अपने पापा से बहुत डरता था।
४० साल - मेरे पापा ने मुझे बहुत अनुशासन के साथ पाल-पोस कर बड़ा किया, मैं भी अपने बेटे को वैसा ही सिखाऊंगा।
४५ साल - मैं तो हैरान हूँ किस तरह से मेरे पापा ने मुझको इतना बड़ा किया।
५० साल - मेरे पापा ने मुझे पालने में काफी मुश्किलें ऊठाईं। मुझे तो तो बेटे को संभालना मुश्किल हो रहा है।
५५ साल - मेरे पापा कितने दूरदर्शी थे और उन्होंने मेरे लिए सभी चीजें कितनी योजना से तैयार की। वे अपने आप में अद्वितीय हैं, उनके जैसा कोई भी नहीं।
६० साल - मेरे पापा महान हैं।
एक बेटा अपनी उम्र में क्या सोचता है?
४ साल - मेरे पापा महान हैं।
६ साल - मेरे पापा सब कुछ जानते हैं।
१० साल - मेरे पापा अच्छे हैं, लेकिन गुस्सैल हैं।
१२ साल - मेरे पापा, मेरे लिए बहुत अच्छे थे, जब मैं छोटा था।
१४ साल - मेरे पापा चिड़चिड़ाते हैं।
१६ साल - मेरे पापा ज़माने के हिसाब से नहीं चलते।
१८ साल - मेरे पापा हर बात पर नुक्ताचीनी करते हैं।
२० साल - मेरे पापा को तो बर्दाश्त करना मुश्किल होता जा रहा है, पता नही माँ इन्हें कैसे बर्दाश्त करती है?
२५ साल - मेरे पापा तो हर बात पर एतराज़ करते हैं।
३० साल - मुझे अपने बेटे को संभालना तो मुश्किल होता जा रहा है। जब मैं छोटा था, तब मैं अपने पापा से बहुत डरता था।
४० साल - मेरे पापा ने मुझे बहुत अनुशासन के साथ पाल-पोस कर बड़ा किया, मैं भी अपने बेटे को वैसा ही सिखाऊंगा।
४५ साल - मैं तो हैरान हूँ किस तरह से मेरे पापा ने मुझको इतना बड़ा किया।
५० साल - मेरे पापा ने मुझे पालने में काफी मुश्किलें ऊठाईं। मुझे तो तो बेटे को संभालना मुश्किल हो रहा है।
५५ साल - मेरे पापा कितने दूरदर्शी थे और उन्होंने मेरे लिए सभी चीजें कितनी योजना से तैयार की। वे अपने आप में अद्वितीय हैं, उनके जैसा कोई भी नहीं।
६० साल - मेरे पापा महान हैं।
Friday, 13 June 2008
नारी को भोग-वस्तु समझने/ मानने/ पुकारने वाले इसे न पढ़ें
हालांकि यहाँ उल्लेख करना ठीक नहीं लगा, फिर सोचा गया कि भई, परिवार के साथ पति-पत्नी भी तो जुडा है यहाँ! बात यह है कि एक सर्वे किया गया -'महिलाओं को सबसे ज्यादा पसंद क्या है ?' अगर जवाब शॉपिंग हो तो आप सहमत होंगे। लेकिन ठहरिये, सुनिए ध्यान से, क्योंकि शॉपिंग के लिए उनकी दीवानगी की हद यहां तक है कि वे शॉपिंग को सेक्स से ज्यादा महत्व देती हैं। एक सर्वे के नतीजे बताते हैं कि महिलाएं उसी तरह शॉपिंग के बारे में सोचती रहती हैं जिस तरह पुरुष सेक्स के बारे में सोचते हैं।
19 से 45 साल की 778 महिलाओं पर किए गए इस सर्वे में पता चला कि 74 परसेंट महिलाएं हर मिनट में एक बार शॉपिंग के बारे में सोचती हैं। इतना ही नहीं, हैरतअंगेज बात यह है कि महिलाओं का कहना है कि वे अपने पार्टनर के साथ वक्त बिताने से ज्यादा शॉपिंग करना पसंद करेंगी। महिलाएं तो यहां तक कहती हैं कि वे अपनी शॉपिंग के बारे में अपने पार्टनर को नहीं बतातीं ताकि उनके खर्च का पता ना चल सके।
इससे पहले कुछ सर्वे यह बता चुके हैं कि पुरुष हर 52 सेकंड्स में एक बार सेक्स के बारे में सोचते हैं जबकि महिलाएं पूरे दिन में एक बार।
ऑनलाइन फैशन मैग्जीन कॉस्मोपॉलिटन के इस सर्वे के मुताबिक हर पांच में दो महिलाओं ने कहा कि वे जूतों और बैग्स की अडिक्ट हैं और उन्हीं के बारे में सोचती हैं। हर दस में से एक से ज्यादा महिलाएं एक्सेसरीज या मेक-अप के बारे में सोचती रहती हैं। सर्वे में शामिल महिलाएं अपनी इनकम का औसतन 30 फीसदी हिस्सा कपड़ों पर खर्च कर देती हैं। इसका दिलचस्प पहलू यह है कि मनोवैज्ञानिक इस बात को अच्छा नहीं मानते। यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लैमॉर्गन की साइकॉलजिस्ट जेन प्रिंस के मुताबिक लोग उन्हीं बातों के बारे में सोचते हैं जिनसे उन्हें खुशी मिलती है, लेकिन हर मिनट में एक बार किसी चीज के बारे में सोचना लत की निशानी है।
19 से 45 साल की 778 महिलाओं पर किए गए इस सर्वे में पता चला कि 74 परसेंट महिलाएं हर मिनट में एक बार शॉपिंग के बारे में सोचती हैं। इतना ही नहीं, हैरतअंगेज बात यह है कि महिलाओं का कहना है कि वे अपने पार्टनर के साथ वक्त बिताने से ज्यादा शॉपिंग करना पसंद करेंगी। महिलाएं तो यहां तक कहती हैं कि वे अपनी शॉपिंग के बारे में अपने पार्टनर को नहीं बतातीं ताकि उनके खर्च का पता ना चल सके।
इससे पहले कुछ सर्वे यह बता चुके हैं कि पुरुष हर 52 सेकंड्स में एक बार सेक्स के बारे में सोचते हैं जबकि महिलाएं पूरे दिन में एक बार।
ऑनलाइन फैशन मैग्जीन कॉस्मोपॉलिटन के इस सर्वे के मुताबिक हर पांच में दो महिलाओं ने कहा कि वे जूतों और बैग्स की अडिक्ट हैं और उन्हीं के बारे में सोचती हैं। हर दस में से एक से ज्यादा महिलाएं एक्सेसरीज या मेक-अप के बारे में सोचती रहती हैं। सर्वे में शामिल महिलाएं अपनी इनकम का औसतन 30 फीसदी हिस्सा कपड़ों पर खर्च कर देती हैं। इसका दिलचस्प पहलू यह है कि मनोवैज्ञानिक इस बात को अच्छा नहीं मानते। यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लैमॉर्गन की साइकॉलजिस्ट जेन प्रिंस के मुताबिक लोग उन्हीं बातों के बारे में सोचते हैं जिनसे उन्हें खुशी मिलती है, लेकिन हर मिनट में एक बार किसी चीज के बारे में सोचना लत की निशानी है।
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