अभी अभी एक ब्लॉगर साथी ने अपनी पोस्ट में ऐलान किया है कि ब्याह करना पाप है! लेकिन एक हालिया शोध का निष्कर्ष है कि एक से ज्यादा पत्नियां रखने वाले पुरुष लंबी उम्र पाते हैं। प्रमुख शोधकर्ता विरपी लुम्मा के मुताबिक एकपत्नी प्रथा पर अमल करने वाले 49 देशों के पुरुषों की तुलना में बहुपत्नी प्रथा वाले 140 देशों में 60 साल से ज्यादा उम्र के पुरुष 12 फीसदी ज्यादा जीते हैं। लंबे अरसे से वैज्ञानिक मानव जीवविज्ञान की इस गुत्थी को सुलझाने की कोशिश कर रहे थे कि पुरुष लंबी उम्र तक क्यों जीते हैं? बहुपत्नी प्रथा इस प्रश्न को सुलझाने में अहम साबित हुई है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक महिलाओं की लंबी उम्र का राज उनकी रजोनिवृत्ति में छुपा होता है। दूसरे शब्दों में कहें तो मासिक धर्म खत्म हो जाने के बाद महिलाएं ज्यादा जीती हैं। रजोनिवृत्त महिलाओं की लंबी उम्र को लुम्मा 'दादी मां प्रभाव' बताती हैं। वह कहती हैं कि रजोनिवृत्ति के बाद कोई महिला दस साल जीती है तो उसे दो अतिरिक्त पोते-पोतियों को प्यार-दुलार करने का मौका मिलता है। शोध में महिलाओं की लंबी उम्र के पीछे पोते-पोतियों को दुलार करना तथा उनके नाज-नखरे सहने को एक बड़ा कारण बताया गया है। लेकिन पुरुषों का जीव विज्ञान महिलाओं से भिन्न होता है। वे 80 साल के बाद भी यौन क्रिया में हिस्सा ले सकते हैं। ज्यादातर अनुसंधानकर्ता इसी बात को मर्दो की लंबी जिंदगी का राज बताते हैं।
वैज्ञानिकों ने दादी मां प्रभाव की तरह पुरुषों में 'दादा प्रभाव' का अध्ययन किया। इसके लिए उन्होंने 18वीं और 19वीं सदी के 25,000 फिनलैंडवासियोंके रिकार्ड खंगाले। इनमें से ज्यादातर लोग अपेक्षाकृत कम दिन जीवित पाए गए। यह वह दौर था जब लोग स्थान परिवर्तन कम करने के साथ परिवार नियोजन के तरीके भी नहीं अपनाते थे। चर्च की तरफ से एकपत्नी प्रथा कठोरता से लागू थी। पत्नी की मृत्यु के बाद ही पुरुष दूसरी शादी कर सकते थे।
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7 comments:
वे 80 साल के बाद भी यौन क्रिया में हिस्सा ले सकते हैं। ज्यादातर अनुसंधानकर्ता इसी बात को मर्दो की लंबी जिंदगी का राज बताते हैं।
tabii to maeri jaan patinuma prani ease purush jyaadar tar bistar par hiv yaa aur kisi yaun rog sae grasit ho kar padey rehtey haen
aur byaah karna paap haen link par to us blogger nae esa kuch nahin likha haen kyun amaa yaar befijul footage khaatey ho
अभी कल ही आपका ब्लॉग सन्दर्भ देखा -दिनेशराइ द्विवेदी जी के नारी विमर्श पर .आज ब्लागवाणी से इस शोध आलेख पर नज़ारे पड़ीं .
देखना यह है कि मूलतः मनुष्य एक पत्नी धारी है या बहु पत्नीधारी .वैकासिक प्रमाण बताते हैं कि भले ही अति आदिम अवस्थाओं में हमारे पूर्वज बहुपत्नीधारी रहें हो कालांतर में उन्हें एकल पत्नी धारी पड़ने को विवश होना पडा है -मनुष्य जाती में बच्चों की देखभाल बहुत लंबे समय तक चलती है लिहाजा वंश संवहन के लिए यह जरूरी है कि पति पत्नी का सम्बन्ध लंबे लंबे समय तक बना रहे .यह जैवीय अनिवार्यता बन गयी है -यह पत्नी के लिए तो बेहद जरूरी है .हाँ उसके लिए बहुपतित्व ज्यादा मुफीद हो सकता है पर यहाँ भी देखा गया है कि पुरूष अपने बजाय किसी दूसरी संतान को एक ही कोख से उत्पन्न होना सहन नहीं कर सकता -लंगूर और शेर ऐसे मामलों में बच्चे को ही मार देते हैं
ले देकर एक निष्ठ सम्बन्ध ही प्रकृति के अनुरूप हैं .भारतीय जीवन दर्शन ने भी इसे आत्मसात किया -रान का आदर्श देखें .
मगर आपके इस शोध उद्धरण में मुझे शरारत की बू आ रही है -कुछ नारियां बिना दिमाग का इस्तेमाल किए इन दिनों तुरत फुरत पुरुषों के कहे को काट रही हैं -आप ने कहा कि पुरूष बहुपत्नी धारी बनें तो लम्बी उम्र पाये ,अब बेलौस जवाब आयेगा कि पत्नी भी ऐसा करे तो .....लो बन गयी आपकी बात -यही चाहते थे न आप ?
ये शरारत भी क्या प्यारी शरारत है, दिल गार्डन-गार्डन हो गया. आभार.
Anonymous (जो कि शायद महिला हैं), आप कृपया पतिनुमा प्राणी के स्नैपशॉट के निचले पैरा ग्राफ में नज़र मारें, जिसमें लिखा गया है:
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भगवान जी से नाराजी में फिर एक पाप कर डाला, ब्याह कर लिया।
आँखें खोल कर पढ़िये, अज्ञात प्राणी!
और स्त्री की लंबी उमर के लिए?????????
लौट जाओ पाषाण युग की और...
कुछ नारियां बिना दिमाग का इस्तेमाल किए इन दिनों तुरत फुरत पुरुषों के कहे को काट रही हैं
naam kyun nahin diyae bandhu
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