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Sunday, 10 August 2008

बच्चे 170, बीवियां 86, उम्र 84 और इस करनी को न अपनाने की सलाह

नाइजीरिया के मोहम्मद बेल्लो अबूबकर की उम्र 84 वर्ष है और उनकी 86 बीवियां हैं, लेकिन वे अन्य पुरूषों को सलाह देते हैं कि उनकी इस करनी को उदाहरण मानकर न अपनाएं। अपनी 86 बीवियों और कम से कम 170 बच्चों के साथ नाइजीरिया में रहने वाले अबूबकर कहते हैं कि खुदा का ही शुक्र है कि वे इतनी बीवियों के साथ सहज रह पाते हैं। उन्होंने बताया, एक पुरूष की अगर 10 बीवियां हो तो उसका जीना बेहाल हो जाएगा, लेकिन अल्लाह ने मुझे शक्ति दी हैं जिस कारण मैं 86 बीवियों को संभाल रहा हूं।

पूर्व में शिक्षक और इस्लाम के प्रचारक रह चुके अबूबकर कहते हैं कि उनकी बीवियों ने बीमारियों से निजात दिलाने की उनकी शोहरत के कारण ही उन्हें चुना है। वे कहते हैं, ‘मैं बीवियों की खोज में नहीं जाता बल्कि वे ही मेरे पास आती है’ लेकिन नाइजीरियो के इस्लामी अधिकारियों ने अबूबकर के इस दावे को नहीं मानते हुए उनके परिवार को एक ‘पंथ’ करार दिया है। इस्लाम के ज्यादातर विद्वानों का मानना है कि यदि एक व्यक्ति अपनी बीवियों को समान रूप से आदर और सम्मान दे सकने के काबिल है तो वह चार औरतों से शादी कर सकता है। लेकिन अबूबकर कहते हैं कि चार से अधिक शादियां करने पर कुरान में किसी प्रकार के दंड की बात नहीं की गई है जैसे ही अबूबकर अपने घर से बाहर आए उनकी बीवियां और बच्चे उनका गुणगान करने लगे उनकी ज्यादातर बीवियों की उम्र 25 वर्ष से भी कम है उनकी बीवियों ने बताया कि विभिन्न बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए वे अबूबकर के पास सहायता लेने के लिए गई और उनकी बीमारियां ठीक हो गई, इसी दौरान अबूबकर से उनकी मुलकात हुई।

शरीफत बेल्लो अबूबकर ने बताया जैसे ही मैं उनसे मिली मेरे सिर का दर्द जाता रहा अल्लाह ने मुझे बताया कि उनसे शादी करने का समय आ गया है अल्लाह का शुक्र है कि मैं अब उनकी बीवी हूं। शादी के वक्त शरीफत बेल्लो की उम्र 25 वर्ष थी और अबूबकर और उनकी बीवियां कोई काम नहीं करती है। इतने बड़े परिवार के गुजारे के लिए प्रत्यक्षत उनके पास कोई साधन भी नहीं दिखता हर भोजन के समय उनके यहां 12-12 किलो के तीन बर्तन भर कर चावल इस्तेमाल होते हैं और हर दिन के खाने का खर्च 915 डॉलर या 457 पाउंड का खर्च आता है। वे यह बताने से इंकार करते हैं कि कैसे वे अपने परिवार के लिए खाने और पहनने की व्यवस्था करते हैं। वे कहते है सब अल्लाह का फजल है उनकी एक बीवी का कहना है कि अबूबकर कभी-कभी अपने बच्चों को भीख मांग कर लाने के लिए कहते हैं।

अबूबकर अपने परिवार के सदस्यों और अन्य श्रद्धालुओं को दवा का सेवन नहीं करने देते हैं वे कहते हैं आप मेरे साथ बठते हैं और यदि आपको कोई बीमारी है तो मुझे इसका पता चल जाता है और मैं इसे दूर कर देता हूं। लेकिन सभी लोगों का रोग दूर नहीं होता उनकी एक बीवी हफसत बेल्लो मोहम्मद कहती हैं कि उनके दो बच्चों की मौत हो गई थी लेकिन साथ ही उनका यह भी कहना है कि अल्लाह ने कहा कि उन बच्चों के जाने का वक्त आ गया है।

मूल समाचार यहाँ मौजूद है।

1 comment:

राज भाटिय़ा said...

बेबकुफ़ हर जगह मिलते हे, :)