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Wednesday, 23 January 2008

जीवनसाथी से नोकझोंक भी जरूरी

अपने जीवन साथी के प्रति गुस्से का इजहार और उसका समाधान ढूंढ निकालने वाले लोगों की अपेक्षा उन दंपतियों की उम्र छोटी होती है जो अपने गुस्से को दबा देते हैं। इस नतीजे पर पहुंचे हैं मिशिगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता। पिछले 17 वर्षो के दौरान शोधकर्ताओं की टीम ने 192 दंपतियों पर नजर रखी। इन दंपतियों को चार श्रेणियों में बांटा। पहली श्रेणी में ऐसे पति-पत्नी को शामिल किया गया जो एक-दूसरे के प्रति गुस्से का इजहार कर दिया करते थे। दूसरी व तीसरी श्रेणी में उन पति-पत्नी को रखा गया, जिनमें कोई एक अपना गुस्सा खोल देता था और दूसरा दबाए रखता था। चौथी श्रेणी में उन पति-पत्नियों को रखा गया जो अपने गुस्से और विचारों को जाहिर करते ही नहीं थे।

इस संबंध में प्रमुख शोधकर्ता अर्नेस्ट हारबर्ग के मुताबिक उनकी टीम का अध्ययन बताता है कि गुस्से को दबाने वाले दंपतियों के मुकाबले एक-दूसरे पर गुस्सा जाहिर करने और सुलह की राह अख्तियार करने वाले दंपति ज्यादा दीर्घजीवी होते हैं। वैसे तो कोई भी इसके लिए प्रशिक्षित नहीं होता, लेकिन जिनके माता-पिता अच्छे होते हैं, वे उनकी अच्छाइयों का अनुकरण कर इस रास्ते को अख्तियार कर सकते हैं। इसमें सबसे महत्वपूर्ण होता है कि मनमुटाव किस दौर में हुआ और आपने कैसे उसे सुलझा लिया गया।

हारबर्ग के मुताबिक जब हमारे सामने समाधान का रास्ता नहीं होता तो अपने गुस्से को दबा लेते हैं। अपनी बात नहीं रखते, यहीं से शुरुआत होती है समस्या की। अध्ययन में शामिल 192 दंपतियों में 26 ऐसे थे, जो अपने उबलते गुस्से को अंदर ही अंदर दबा देते थे, इस समूह में 13 की अध्ययन के दौरान ही मौत हो गई। शेष बचे 166 दंपतियों में 41 की मौत मिश्रित रही। यानी किसी की पत्नी किसी का पति। हारबर्ग के मुताबिक अध्ययन में धूम्रपान, वजन, ब्लड प्रेशर, श्वास और दिल की बीमारियों जैसे कारकों को भी समायोजित किया गया है।

1 comment:

जेपी नारायण said...

घर-घर की कहानी के लिए यह महत्वपूर्ण शोध-सूचना। बधाई