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Tuesday, 23 February 2010

कोई भी सफल महिला अपने घर से लड़कर सफल नहीं हुई बल्कि परिवार का साथ पाकर ही सफल बनी है

आज के अखबार में खबर पढ़ी। कुछ अनोखी सी लगी। अनोखी इसलिए कि अपने प्रदेश में नामी वकील रहीं और अब रायपुर की मेयर बनीं किरणमयी नायक ने जो कुछ कहा वह आज की कथित प्रगतिशील महिलाओं को शायद हजम ना हो।

कल आयोजित किए गए एक दिवसीय कार्यशाला में नुख्य अतिथि की आसंदी से रायपुर निगम की महापौर किरणमयी नायक ने कहा कि किस्सा यहाँ एक के साथ चार फ़्री का है! दहेज की रिपोर्ट दर्ज कराते वक्त महिलाएं इस मुगालते में रहती हैं कि बस रिपोर्ट दर्ज कराई और ससुराल वालों को सजा मिल जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं होता। वह दहेज की एक रिपोर्ट लिखवाती है और बदले में उसे चार केस भुगतने पड़ते हैं यानि तलाक, मेंटेनेंस, संपत्ति में अधिकार और बच्चे हैं तो उसकी गार्जनशिप का मामला भी उसे फेस करने होते हैं। अकेले परिवार की जिद और सास-ससुर को नहीं रखने वाली महिला कहीं की नहीं रह जाती और दहेज का मामला दायर करने के बाद वह वापस भी नहीं जा पाती। उन्होंने महिलाओं से कहा कि अपने घर को जोड़कर रखें न कि अपने घर के मामले को पुलिस थाने तक ले कर जाएं। उन्होंने कहा कि कोई भी सफल महिला अपने घर से लड़कर सफल नहीं हुई बल्कि परिवार का साथ पाकर ही सफल बनी है, इसलिए अपने अधिकारों से ज्यादा कर्तव्यों को निभाना सीखें।

कुछ अनोखा नहीं लगा आपको?